कबाड़ से हेलीकाप्टर, कार और जहाज
राकेश कुमार, सलखुाआ (सहरसा), संसू: प्रतिभा संसाधन की मुंहताज नहीं होती। अच्छी मेहनत व लगन से लोग जिं
राकेश कुमार, सलखुाआ (सहरसा), संसू: प्रतिभा संसाधन की मुंहताज नहीं होती। अच्छी मेहनत व लगन से लोग जिंदगी में कुछ भी कर सकते हैं। इसे साबित किया है सलखुआ प्रखंड के सुदूर गांव पुरैनी के दो नन्हें दोस्तों ने। किसान के पुत्रों ने कबाड़ से हेलीकाप्टर, रिमोट वाले खिलौने, पानी वाला जहाज सहित तमाम प्रकार के इलेक्ट्रानिक खिलौने बनाकर लोगों को हैरत में डाल दिया है। इन नन्हें वैज्ञानिकों का दावा है कि यदि उन्हें उचित प्रशिक्षण और सामान मिले तो वो मिसाइल भी बना सकते हैं।
सलखुआ प्रखंड के मोबारकपुर पंचायत के अंतर्गत पुरैनी गाव निवासी गरीब किसान मो. नजीरउद्दीन के पुत्र मो. अबु बसर एवं अब्दुल गफ्फार के पुत्र अबु हंजला ने यह कमाल कर दिखाया है। दोनों दोस्त ने मिलकर छोटे-छोटे पाच-छह यंत्रों का आविष्कार कर गाव के लोगों को हैरत में डाल दिया। दोनों नन्हें वैज्ञानिकों की चर्चा अब अब चारों ओर फैलने लगी है। दोनों बच्चे उर्दू मध्य विद्यालय में 7 वीं कक्षा में पढ़ते हैं।
अबु बसर एवं अबु हंजला छोटी सी आयु में रिमोट कार, पानी वाली जहाज, वोट, लिफ्ट, पतवार वाली नाव, आरसी प्लेन, हीटर आदि बनाते हैं। नन्हें वैज्ञानिक जब गाव के समीप तालाब में वोट, फ्लैपिन फीस, मोटर के सहारे तालाब में जब तैराते हैं तो गाव के बच्चे व नौजवानों की भीड़ लग जाती है। इनके आविष्कार की खास बात यह है कि ये कबाड़ से इस प्रकार की चीज बना रहे हैं। उक्त दोनों बच्चे से पूछने पर बतया कि सामग्री उपलब्ध हो जाये तो हम दोनों मिसाईल भी बना सकते हैं। अबु हंजला के पिता अब्दुल गफ्फार ने पूछने पर बताया कि ये दोनों दोस्त बच्चों के खेलने के लिये बहुत कुछ बनाते रहते है। मेरे पास उतना पैसा नहीं है कि बच्चे की माग को पूरा करें। फिर भी बच्चों को थोड़ी बहुत छूट देते हैं तो ये बच्चों के खेलने वाले खिलौने बनाते रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अबु बसर एवं अबु हंजला के अंदर छोटी सी आयु में अद्भूत प्रतिभा छुपी है।
बेकार चीजों से बनाते हैं खिलौने
ये बच्चे मोबाइल फोन की बेकार बैट्री लकड़ी, थरमो कॉल, चुम्बक, आदि सामग्री से बच्चों के खिलौने का आविष्कार करते रहते हैं।
'मेरे संज्ञान में यह नहीं है। यदि ऐसे प्रतिभावान बच्चे हैं तो यह संस्थान के लिए गौरव की बात है। उनके बेहतर मौके व संसाधन के लिए मैं पटना लिखूंगा। फिलहाल मैं इन बच्चों व उसके आविष्कार के विषय में जानकारी देने के लिए बीआरपी को लिख रहा हूं। विभाग से जितनी मदद होगी की जाएगी '
अब्दुल खालिक
जिला शिक्षा पदाधिकारी, सहरसा।