छोटे किसानों ने बेचा धान, कैसे मिलेगा अनुदान
सहरसा, जासं : जिले में धान खरीद का बेहद ही हाल बुरा है। विपणन वर्ष 2014-15 में 15 नवंबर से ही धान खर
सहरसा, जासं : जिले में धान खरीद का बेहद ही हाल बुरा है। विपणन वर्ष 2014-15 में 15 नवंबर से ही धान खरीदा जाना था। परंतु ,कई तकनीकी कारणों से 151 पैक्स व 10 एसएफसी केन्द्र के विरुद्ध अबतक मात्र कहरा, सौरबाजार व पतरघट प्रखंड में मुश्किल से आधा दर्जन केन्द्र संचालित हो पाये है। जिले के अन्य प्रखंडों में अबतक एक भी केन्द्र चालू नहीं हो पाये है। जिससे अधिकांश छोटे किसानों ने धान औने-पौने दामों पर बेच दिया। जिस कारण ऐसे किसान अनुदान की राशि से वंचित रह गये।
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41 सौ एमटी की जगह खरीदा गया एक सौ एमटी धान
विपणन वर्ष के बेशकीमती ढ़ाई माह बीत जाने के कारण जहां अबतक लक्ष्य के अनुरुप आधा से अधिक धान की खरीद होनी चाहिए, वहीं क्रय केन्द्र शुरु नहीं हो पाने के कारण जिले में 41 सौ मैट्रिक टन खरीद लक्ष्य के विरुद्ध अब तक मात्र एम सौ मैट्रिक टन धान खरीदा गया है। गत वर्ष धान की खरीद में हुई अनियमितता और धान के घोटाले के कारण कई प्रखंड स्तरीय केन्द्र पर भी क्रय केन्द्र प्रभारी योगदान नहीं दे रहे हैं। जिसके चलते कार्य में अभी भी व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना है।
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औने-पौने दाम में बिका किसानों का धान
धान खरीद के लिए निर्धारित तिथि के दो माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी धान की खरीद प्रारंभ नहीं हुई, जिससे रबी की खेती व पटवन कार्य को पूरा करने के लिए किसान औने-पौने दाम में धान बेचने को विवश हो रहे हैं। अधिकांश छोटे और मझोले किसानों का धान बिक चुका है। जिससे अब धान बेचने पर मिलने वाले बोनस का लाभ भी आखिरकार बिचौलिया और जमाखोर को ही मिलेगा।
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क्या कहते हैं पैक्स अध्यक्ष
पैक्स अध्यक्ष संघ के जिला संयोजक
अनिल कुमार यादव कहते हैं कि धान खरीद की प्रक्रिया को इतना बोझिल कर दिया गया है, जिसके कारण धान खरीदना बेहद कठिन है। भुगतान की प्रक्रिया को लगातार उलझाया जा रहा है, जिससे वे लोग धान खरीदने से विमुख हो रहे हैं। सिहौल के पैक्स अध्यक्ष भगवान झा कहते हैं कि धान खरीद के प्रति सरकार की मंशा ही सही नहीं है। अब किसान के पास धान ही नहीं बचा तो खरीद क्या होगा।
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कोट के लिए
' कुछ तकनीकी कारणों से धान की खरीद तेज नहीं हो पायी है, परंतु एकाध दिन में अधिकांश पैक्स कार्यशील हो जाएंगे।'
मनोज कुमार, जिला सहकारिता पदाधिकारी, सहरसा।