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क्रांतिकारियों का बसेरा बना खौफ का ठिकाना

बिभांशु शेखर, संवाद सहयोगी, बांका: देश की आजादी में बांका के बांकुरों ने अंग्रेजों के दात खट्टे कर द

By Edited By: Published: Sun, 25 Jan 2015 08:53 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jan 2015 08:53 PM (IST)
क्रांतिकारियों का बसेरा बना खौफ का ठिकाना

बिभांशु शेखर, संवाद सहयोगी, बांका: देश की आजादी में बांका के बांकुरों ने अंग्रेजों के दात खट्टे कर दिए थे। लेकिन जान की आहूति देने के नाम पर भी बांका के सपूतों का कदम कभी नहीं डिगा। उस समय बांका की जंगल व पहाड़ियां उनके छुपने की उत्तम जगह हुआ करती थी। जहां अंग्रेजों का पहुंच पाना नामुमकिन था। लेकिन वक्त ने करवट बदली और पूरा मंजर ही बदल गया। कालांतर में वीर सपूतों का अड्डा आज नक्सलियों व डकैतों के छुपने का प्रमुख ठिकाना बन गया है।

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दरअसल, देश को अंग्रेजी बेड़ी से मुक्त कराने के लिए अंग क्षेत्र की बांका धरती के सपूतों का योगदान काफी सराहनीय रही। भौगोलिक दृष्टिकोण से यहां का क्षेत्र स्वतंत्रता क्रांतिकारियों के लिए अनुकूल था। चहुंओर पहाड़ व जंगल से घिरा इस क्षेत्र में दर्जनों दलों की टुकड़ियां रहा करती थी। परशुराम सेना का दल एक तरफ मतवाला पहाड़ पर वास था, तो दूसरी ओर नाढ़ा पहाड़ पर महेंद्र गोप व श्रीधर सिंह की सेना का प्रमुख बसेरा था। सैकड़ों की संख्या में देश भक्त यहां छुपकर गोरी सेना से वार किया करते थे। मगर, इतिहास के पन्नों में जिस तेजी ये सभी शरण स्थली दफन होती गई। उसी गति से दूसरी ओर खौफ का राज कायम होता गया। लंबे समय से यहां के प्रमुख जंगल और पहाड़ों पर नक्सलियों का वर्चस्व कायम होते जा रहा है। अब तो डकैत व अपहरणकर्ताओं का भी यह जगह छुपने के लिए उचित हो गया है। हालांकि माओवादी की नीति आम लोगों को क्षति पहुंचाने की नहीं है। लेकिन उनके तांडव से पूरा क्षेत्र दहशत में आ जाता है।

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दूसरे प्रांत से भी आते थे देश भक्त

बांका का पूरा क्षेत्र देशभक्त के लिए इतना महफूज था कि दूसरे प्रांतों से भी क्रांतिकारी यहां छुपने आ जाते थे। और एक साथ हजारों हजार की संख्या में बैठक कर आगे की रणनीति तय करते थे। कई बार इन जंगलों से निकलकर देशभक्तों ने पुल, पुलिया, फांड़ी सहित कई अंग्रेजों के ठिकाने को तहस नहस कर दिया था।

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स्वतंत्रता सेनानी का बांका में प्रमुख बसेरा

मतवाला पहाड़, नाढ़ा पहाड़ ,विहारो पहाड़ ,रामसरैया, शोभा पाथर, रंगसार, झरना, माली आदि है।

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पहाड़ी क्षेत्रों में भी सेना के जवानों के सहयोग से छापेमारी अभियान चलाया जाता है। वन क्षेत्र में लोग भी इस ओर सक्रिय है।

डॉ सत्यप्रकाश

एसपी, बांका


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