खर्च डेढ़ सौ करोड़, आवास बने महज 19 हजार
कुंदन कुमार, सहरसा: कुसहा त्रासदी को छह वर्ष से अधिक समय बीत गये। परंतु अधिकारियों की काहिली व कोसी
कुंदन कुमार, सहरसा: कुसहा त्रासदी को छह वर्ष से अधिक समय बीत गये। परंतु अधिकारियों की काहिली व कोसी पुनर्वास योजना में बिचौलियागिरी के कारण आवास योजना की गति काफी धीमी है। बड़ी संख्या में पुनर्वास का लाभ नहीं ले सके बाढ़ पीड़ितों के हित में विश्व बैंक व सरकार ने योजना अवधि को दो वर्ष के लिए बढ़ा दिया। परंतु सूची में हो रहे उलटफेर और भुगतान में पारदर्शिता नहीं रह पाने के कारण प्रक्रिया के कारण 30 प्रतिशत का घर अब तक नहीं बन सका है।
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समयावधि विस्तार के बाद भी नहीं आई तेजी
कोसी पुनर्वास सह पुनर्निमाण के लिए विश्व बैंक की मदद से राज्य सरकार ने बाढ़ से उजड़े हुए सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले को पहले से भी सुन्दर बनाने के अपनी घोषणा की। यह अवधि सितम्बर 2014 में ही समाप्त हो गया। अधिकांश लोगों के पुनर्वास के लाभ से वंचित रहने के कारण विश्व बैंक और सरकार ने सितम्बर 2016 तक के लिए योजना को अवधि विस्तार दिया, परंतु अब भी कार्य में तेजी नहीं आने से अधिकारियों वरीय अधिकारियों की चिंता बढ़ने लगी है।
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खजाना खाली, उपलब्धि नगण्य
कोसी पुनर्वास सह पुननिर्माण योजना मद में विश्व बैंक ने 52 मिलियन डालर और बिहार सरकार ने 13 मिलियन डालर राशि दिये। दोनो मिलाकर प्राप्त 390 करोड़ में अबतक लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च कर दिये गये है। परंतु 66203 आवास के लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 19577 ही पूरा हो सका है।
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बिचौलियागिरी बनी है निर्माण योजना में बाधक
पुनर्वास योजना में इंदिरा आवास की तरह बिचौलियागिरी पराकाष्ठा पर है। यहीं कारण है कि बड़ी संख्या में राशि का उठाव करनेवाले लोग भी आवास नहीं बना सके। स्थिति की भयावहता देखते हुए परियोजना निदेशक हरजौत कौर से एक अगस्त से पूरी तरह आरटीजीएस प्रणाली से लाभुकों को खाते में भुगतान का निर्देश दिया। परंतु वह भी अभी तक लागू नहीं हो पाया है। धड़ल्ले से बिचौलिया के दबाव में लाभुकों के नाम चेक काटे जा रहे हैं।
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क्या है योजना की स्थिति
सहरसा
लक्ष्य- राशि उठाव- उपलब्धि
11322- 7861 - 2434
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मधेपुरा
लक्ष्य- राशि उठाव- उपलब्धि
28000- 22494- 8752
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सुपौल
लक्ष्य- राशि उठाव- उपलब्धि
27312- 3993 - 8391
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' राशि उठाव कर भवन नहीं बनाये जाने की स्थिति बेहद ही चिंताजनक है। ऐसे लाभुकों को चिह्नित कर कार्रवाई का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया गया है। पुनर्वास के कार्य में जिन अधिकारियों की उदासीनता सामने आएगी, उन्हें भी दंडित किया जाएगा।
रामरुप सिंह
प्रमंडलीय आयुक्त, सहरसा।