बटराहा में आंसुओं का सैलाब लेकर आया खरना
कुंदन, सहरसा : जिस मुहल्ले में छठ के उल्लास से हर चेहरा चमक रहा था, उसी मुहल्ले में मंगलवार को खरना
कुंदन, सहरसा : जिस मुहल्ले में छठ के उल्लास से हर चेहरा चमक रहा था, उसी मुहल्ले में मंगलवार को खरना आंसुओं का सैलाब लेकर आया। छठ की तैयारी में जुटे बटराहा मुहल्ले से जब चार घरों के चिराग की अर्थी निकली तो हर कलेजा कांप गया और दहल गया हर दिल। सुबह जिस मुहल्ले में छठ मनाने को लेकर योजना बन रही थी, शाम होते-होते वहां हर आंख आंसुओं से भर गया। इस दिल दहला देने वाली घटना से पूरा मुहल्ला स्तब्ध और गमगीन था।
इस हादसे में बटराहा मुहल्ले ने चार भविष्य के नौजवान खो दिए। यहां सनोज राम और मनोज राम (दोनों भाई) ने अपना होनहार बेटा खो दिया। घर में तीन-तीन लड़की पैदा हुई। बड़ी मन्नत के बाद सनोज के घर बसंत पैदा हुआ तो इस घर में बसंत सरीखा माहौल आया। पूरे घर में उत्सव सा माहौल बन गय। रिक्शा व मजदूरी कर घर चलाने वाले इन दोनों भाईयों ने औकात से बढ़कर उसकी परवरिश की। लेकिन महज 11 बसंत देखने के बाद ऐन खरना के दिन बसंत दुनिया से चला गया। उसके साथ ही इस घर से खुशियां भी चली गयी। दूसरी ओर शंकर राम के घर भी खरना कोहराम बनकर आया। तीन लड़की के बाद जब उसके घर रोशन पैदा हुआ तो शंकर व इसकी पत्नी का चेहरा खुशियों से दमक रहा था। छठ के उल्लास में डूबा यह परिवार रोशन की घाट बनाने की जिद को टाल नहीं पाया। लेकिन कौन जानता था कि जिस घाट पर वे लोग छठ मनाने की तैयारी में हैं, वही उसके परिवार की रोशनी छीन लेगा। रोशन की मौत इस परिवार पर कहर बनकर टूटा। इसी मुहल्ले के अशोक मिस्त्री को सात बेटियों के बाद सुजीत पैदा हुआ। जिस दिन वह पैदा हुआ उस परिवार ने कभी मायूसी नहीं देखी। हर गम सुजीत की मुस्कान देखकर मिट जाता था। लेकिन आज शाम जब इस लाडले की अर्थी निकली तो पूरे परिवार के साथ उसके पड़ोसियों की भी चीत्कार लोगों ने सुनी। सनोज राम के पड़ोसी लक्ष्मण साह ने भी अपना पुत्र इस हादसे में खो दिया। घर में सबका लड़ला था यह।