आस्था का प्रमुख केन्द्र है कचहरी स्थित 'मां दरबार'
कुंदन कुमार, सहरसा : सहरसा कचहरी स्टेशन स्थित 'मां दरबार' दुर्गा मंदिर शहर में सुपर डायमंड संगमरमर
कुंदन कुमार, सहरसा : सहरसा कचहरी स्टेशन स्थित 'मां दरबार' दुर्गा मंदिर शहर में सुपर डायमंड संगमरमर की शेर पर सवार पर प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जहां विगत छह दिनों से लगातार हो रहे दुर्गा सप्तशती के पाठ से आसपास का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। यह मंदिर शहर और आसपास के इलाके के लोगों के आस्था का केन्द्र है। जहां लोग दूर-दराज से पूजा अर्चना करते आते हैं। इस मंदिर में वासंती व शारदीय दोनो नवरात्र की पूजा होती है।
1992 में दयानंद सिंह मोती, ललन देव व नरसिंह मंडल की परिकल्पना से यहां दुर्गापूजा की विधिवत शुरुआत हुई। तब से यहां प्रत्येक वर्ष दुर्गा, गणेश, कार्तिक, सरस्वती, लक्ष्मी, महिषासुर की प्रतिमा बनाकर पूजा अर्चना होने लगी। मंदिर के वित्तीय सलाहकार मुक्तेश्वर मुकेश ने बताया कि इस मंदिर को लगभग तीन हजार परिवार का आर्थिक सहयोग प्राप्त हो रहा है। इनके सहयोग से वर्ष 2008 में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त राजस्थानी मूर्तिकार द्वारा तैयार सुपर डायमंड संगमरमर की मूर्ति बनवायी गयी। इसके बाद मूर्ति की मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा करायी गयी।
आज यह मंदिर भव्य एवं सुन्दर रुप ले चुका है। यहां मां के भक्तों का रात- दिन तांता लगा रहता है। मंदिर की स्थायी मूर्ति की पूजा प्रत्येक दिन सुबह- शाम आरती, पूजन एवं भोग से होती है। वर्ष में दो बार वैदिक रीति से वासंती एवं शारदीय नवरात्र के मौके पर पूजा की जाती है। मंदिर के निर्माण एवं सौन्दर्यीकरण कार्य में नित्यानंद पाठक, हीरा प्रभाकर, भरत झा, चन्द्रमोहन यादव, पंकज कुमार, भूषणदेव, ठाकुर अवधेश सिंह, रमण कुमार सिंह, बबन सिंह, श्यामचन्द्र मिश्र, राजेश कुमार सिंह आदि की सराहनीय भूमिका रही है।