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'नारी सशक्तिकरण को फिर से परिभाषित करने की जरूरत'

महिषी (सहरसा), संसू: उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव के दूसरे दिन कोसी- मिथिला की लोक संस्कृति, भारती-मं

By Edited By: Published: Sat, 27 Sep 2014 07:14 PM (IST)Updated: Sat, 27 Sep 2014 07:14 PM (IST)
'नारी सशक्तिकरण को फिर से परिभाषित करने की जरूरत'

महिषी (सहरसा), संसू: उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव के दूसरे दिन कोसी- मिथिला की लोक संस्कृति, भारती-मंडन एवं पुरातरत्विक धरोहर विषय पर राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे विद्वानों ने अपना व्याख्यान दिया।

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जिलाधिकारी शशिभूषण कुमार ने सेमिनार का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। सेमिनार की अध्यक्षता हैदराबाद से पहुंचे परमाणु वैज्ञानिक अमरेन्द्र नारायण पाण्डे ने की जबकि मंच संचालन लेखक डा. तारानन्द महतो वियोगी ने किया। वक्ताओं ने मिथिला संस्कृति, मंडन मिश्र के दर्शन से जुड़े कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। हैदराबाद, दिल्ली, दरभंगा, पटना से आए विद्वानों ने अपने विचार रखे। वहीं पर्यटन विभाग के टूरिस्ट ऑफिसर जयनारायण महतो ने भी कार्यक्रम का जायजा लिया।

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नारी शिक्षा में आयी गिरावट : डीएम

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जिलाधिकारी शषिभूषण कुमार ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि मंडन काल में इस क्षेत्र में जो नारी के शिक्षा का स्तर था उसमें गिरावट आयी है। इसके कारणों को खोजकर विचार करने की जरुरत है। पिछले वर्ष सेमिनार में पारित प्रस्ताव पर चर्चा करते हुये कहा कि महिषी का नाम परिवर्तित कर माहिष्मती किए जाने के लिए पंचायत स्तर से प्रस्ताव भेजने को कहा।

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मिथिला में शक्ति पूजा का है महत्व : इंदिरा

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सीएम साइंस कॉलेज दरभंगा के डा. इंदिरा झा ने कहा कि मिथिला में प्रचलित पूजा पद्धति में शक्ति पूजा का बड़ा महत्व है। और इस पुजा में प्रत्येक आराध्य के लिए अलग- अलग बीज मंत्र की प्रथा प्रचलित है। जिससे ये बात स्पष्ट होता है कि मिथिला के लोग पूजा के रहस्य से भली भांति परिचित थे।

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अविद्या को लेकर है मतभेद: चौधरी

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दरभंगा विश्वविद्यालय के नंदकिशोर चौधरी ने अपने अभिभाषण में पंडित मंडन मिश्र एवं शकराचार्य के सिद्धांतों में मूल अन्तर की चर्चा करते हुए कहा कि दोनों विद्वानों के सिद्धांतों में मुख्य रुप से अविद्या के रुप को लेकर मतभेद दिखता है। शकरचार्य जहां अविद्या को माया और माया को ज्ञान प्राप्ति में सबसे बड़ा बाधक मानते हैं। वहीं पं. मंडन मिश्र अविद्या का पर कहते हैं कि अविद्या का मिट जाना ही विद्या है।

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परंपरा का होता है संवाहन: अक्षय

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दिल्ली के समाजशास्त्री अक्षय चौधरी का कहना है कि कुछ परम्परा का संवाहन बिना उसकी जानकरी के पीढ़ी दर पीढ़ी लोग निर्वाह करते आ रहे हैं। जिस प्रकार मिथिला में कुल देवी पूजन की प्रथा है। उनके द्वारा मिथिला में व्याप्त शाक्त आराधना पर विशेष चर्चा की गयी।

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ज्ञान से ही लोग महान बनते हैं: मीसा

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बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मीसा भारती ने सेमिनार में बाल संरक्षण पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा आवश्यक है। बिना शिक्षा के संपूर्ण विकास नहीं हो सकता है। उन्होंने मंडन मिश्र व शंकराचार्य के बीच हुये शास्त्रार्थ की चर्चा करते हुये कहा कि ज्ञान से ही लोग महान बनते हैं।


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