नारी सशक्तीकरण की वाहक बनी प्रभावती
रोहतास। श्रम की संस्कृति ने हमेशा इतिहास रचा है। लगन, मेहनत और लक्ष्य के प्रति जुनून सकारात्मक
रोहतास। श्रम की संस्कृति ने हमेशा इतिहास रचा है। लगन, मेहनत और लक्ष्य के प्रति जुनून सकारात्मक परिणाम देते हैं। इसे साबित किया है बारून टांड निवासी प्रभावती देवी ने। अपने जज्बे व कठिन परिश्रम के बदौलत सिद्ध कर दिया है कि मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लिजिए।
नारी सशक्तीकरण की पहचान बनी प्रभावती :
प्रभावती की अब अपनी पहचान बन गयी है। जिसने पहले खुद को आत्मनिर्भर बनाकर आसपास की महिलाओं को स्वावलंबन का रास्ता दिखाया। प्रखंड में प्रभावती देवी नारी सशक्तीरकण की मिसाल बन गई है। प्रभावती द्वारा गठित समूह की महिलाएं सबसे पहले बचत करना शुरू की। इसके बाद खेती से लेकर कई तरह के व्यवसाय व पशुपालन भी की। धीरे-धीरे कारवां बनता गया और प्रभावती के प्रयास से तीन सौ से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर दूसरी महिलाओं का भविष्य संवार रही हैं।
गांवों में गठित किया समूह :
प्रखंड के बारून, सूर्यपुरा, खरोज, अगरेड, शिवोबहार, गोशलडीह, बलिहार, नारायणपुर, कल्याणी सहित प्रखंड के कई गांवों में प्रभावती ने स्वयं सहायता समूह से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद की। समूह की महिलाएं, जो घर से बाहर नहीं निकलती थी, आज खेती-गृहस्थी से लेकर अन्य कार्य कर स्वावलंबी बनी हुई हैं।
पुरुष भी प्रेरित हुए :
गांवों की महिलाओं में समूह के माध्यम से आए बदलाव के बाद अब पुरुष भी ऐसे समूहों के प्रति प्रेरित होने लगे हैं। इस कार्य में घर की महिलाओं का सहयोग भी कर रहे हैं।
कहती हैं प्रभावती :
प्रभावती बताती है कि स्वयं अपने लिए व अन्य महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती थी। 2005 में महिला विकास निगम द्वारा संपोषित महिला समूह से जुड़ गई, तब आभास हुआ कि अब सफलता के लिए रास्ता मिल गया। गांव में ही रहकर खेती-किसानी आदि कार्यों में महिलाओं को जोड़ने लगी। महिलाओं को उनके अधिकार व बचत के प्रति जागरूक कर उन्हें समूह से जोड़ना शुरू किया। अब तक 25 महिला समूहों का गठन करा तीन सौ से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित की हैं। महिला आत्मनिर्भर होगी, तो परिवार और समाज में खुशहाली आएगी।