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सदर अस्पताल का हाल, कुव्यवस्था से बदहाल

रोहतास। कुव्यवस्था व उपेक्षा के मकड़जाल में उलझे जिले का सदर अस्पताल इन दिनों भगवान भरोसे चल

By Edited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 07:34 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 07:34 PM (IST)
सदर अस्पताल का हाल, कुव्यवस्था से बदहाल

रोहतास। कुव्यवस्था व उपेक्षा के मकड़जाल में उलझे जिले का सदर अस्पताल इन दिनों भगवान भरोसे चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग भले ही यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता का दावा करे, मगर अस्पताल के विभिन्न वार्डो में जाने के बाद वहां साफ-सफाई की कमी से ठहर पाना मुश्किल रहता है। अस्पताल के अंदर जहां साफ-सफाई का अभाव रहता है, वहीं बदबू से मरीज परेशान हैं। राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को ले हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, इसके बावजूद सदर अस्पताल स्थित अधिकतर वार्डों की व्यवस्था बदहाल है। अस्पताल परिसर व वार्डो में मरीजों के लिए शौचालय की व्यवस्था की गई है लेकिन कहीं कोई शौचालय की सफाई नहीं होती है। जिससे मरीजों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। महिला मरीजों के लिए बनाए गए शौचालय का भी हाल कमोबेश यही है। इस दिशा में अस्पताल प्रबंधन कोई ठोस पहल नहीं कर पा रहा है। सोमवार को इलाज कराने अस्पताल आए कई मरीजों के परिजनों ने अस्पताल की इस बदहाल व्यवस्था से खिन्न नजर आए। बताया की वे इलाज कराने मरीजों के साथ आए थे। लेकिन यहां तो स्थिति यह है कि मरीज के साथ आए अन्य लोग भी बीमार पड़ जाएंगे। जिले में स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने को ले पिछले दो दिनों से जिला प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है। इसके तहत कई पीएचसी का रात्रि में औचक निरीक्षण भी किया गया। इससे जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है, पर कैसे जबकि जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाएं ही चरमरा गई है।

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नहीं मिलती पर्चियों पर लिखी दवा :

सदर अस्पताल के डाक्टरों के अक्सर गायब रहने की चर्चा के बीच अब यहां मरीजों को दवा भी बाहर से ही लेना पड़ रहा है। सरकारी अस्पताल में लोगों के मुफ्त इलाज का मतलब है यहां इलाज के साथ मुफ्त दवा भी दी जाए। लेकिन जिले के लाइफ लाइन कहे जाने वाला सदर अस्पताल दवाओं का टोटा झेल रहा है। यहां डॉक्टर जो दवा मरीजों को लिखते हैं, वह भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहता जिससे मजबूरन रोगियों को दवा के लिए बाहर जाना पड़ता है। आज अस्पताल के आउटडोर में 33 में से मात्र 14 दवा ही उपलब्ध थी।अधिकतर जीवन रक्षक दवाएं वाह्यविभाग के स्टाक से गायब है।

अधिकारियों ने भी लगाई थी फटकार :

गत दिनों सदर अस्पताल का निरीक्षण करने पटना से आई राज्य स्वास्थ्य समिति की टीम ने भी इसकी बदहाली पर अपनी नाराजगी जताई थी। टीम ने मरीजों के हित में अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था तत्काल दुरूस्त करने का निर्देश भी दिया था। लेकिन अभी तक उसका कोई परिणाम नहीं दिख रहा है।

कहते हैं सीएस :

सदर अस्पताल में मरीजों को यथा संभव पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। साफ-सफाई पर भी ध्यान दिया जा रहा है। अस्पताल में लगभग सभी तरह की आवश्यक जांच उपलब्ध हैं। मरीजों व परिजनों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसका ध्यान रखा जा रहा है।

डा.विजय कुमार सिन्हा, सीएस

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फोटो- 27 एसआरएम 15

बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा एसएनसीयू

सासाराम : सुविधाओं का टोटा झेल रहे सदर अस्पताल परिसर स्थित एसएनसीयू नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। भले ही अस्पताल के अन्य वार्डों में मरीजों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मयस्सर नहीं हो पा रही हैं, लेकिन यहां स्थित एसएनसीयू वार्ड में क्रिटीकल बच्चों का उपचार किया जा रहा है। इसमें एक माह से छोटे बच्चों का वजन कम होने, पीलिया, न्यूमोनिया, प्रीमेच्योर, सेप्टिक आदि बीमारियों का उपचार किया जा रहा है। सोमवार को वार्ड में भर्ती लगभग आधा दर्जन बच्चों के परिजनों ने एनआईसीयू की व्यवस्था पर संतोष जताया। जुड़वां बच्चों का इलाज करा रही नासरीगंज से आई सुनीता देवी के अलावे अपने बच्चों का इलाज कराने आई ज्योति देवी (पताढ़ी-शिवसागर), यशोदा देवी (लखनुसराय), बेबी देवी (लश्करीगंज), गुड़िया देवी (सिकरियां) व चंदा देवी (पठानटोली) आदि ने कहा कि यहां बच्चों का खास खयाल रखा जा रहा है।


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