मानव जीवन की कसौटी है श्रीराम का चरित्र : आचार्य रत्नेश
रोहतास। श्रीराम का चरित्र मानव जीवन की कसौटी है। समाज में किसका उत्थान हुआ है, निश्चित तौ
रोहतास। श्रीराम का चरित्र मानव जीवन की कसौटी है। समाज में किसका उत्थान हुआ है, निश्चित तौर पर कहा नहीं जा सकता। लेकिन लोगों के चरित्र का पतन वर्तमान समय में निश्चित तौर पर हुआ है। आज आवश्यकता है कि वे श्रीराम के चरित्र को अपनाएं व उनके आदर्शों को आत्मसात करें। उक्त बातें सदर प्रखंड के बभनगांवा में आयोजित सात दिवसीय चतुर्मासा श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह अंतरराष्ट्रीय वैष्णव सम्मेलन में प्रवचन करते हुए आचार्य रत्नेश महाराज ने शनिवार को कही। उन्होंने कहा कि जिस तरह से रामावतार में अच्छे लोग आपस में विभाजित थे और बुरे संगठित। ठीक वही स्थिति आज भी हो गई है। जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो समाज का विघटन तय माना जाता है। कहा कि जब तक ज्ञानी व बुद्धिजीवी आपस में लड़ते रहेंगे, तबतक भारत का उत्थान संभव नहीं है। उसका लाभ रावण जैसे अहंकारी लोग लेने में पीछा नहीं रहेंगें। राजा या बुद्धिजीवी वही हो सकता है जो समस्या का समाधान जानता हो। ये नहीं कि सत्ता स्वार्थ में समस्या को और विकराल बना दे। प्रवचन सुनने जुटी हजारों की भीड़ भक्ति में लीन रही। श्रद्धालुओं ने यज्ञमंडप की परिक्रमा कर मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना की। महायज्ञ से पूरा वातवरण भक्तिमय हो गया है। पौ फटने से पहले ही लोग यज्ञ स्थल पर पहुंच मंडप की परिक्रमा में जुट जा रहे हैं।