'इंद्रदेव' की मेहरबानी से खेतों में लौटी 'रौनक'
कार्यालय प्रतिनिधि, सासाराम
आकाश की ओर टकटकी लगाए किसानों पर आखिर इंद्रदेव मेहरबान हो गए। बारिश होते ही खेतों में रोपनी शुरू हो गयी है। किसानों के चेहरों पर खुशी दिखने लगी है।
धान का कटोरा कहे जाने वाले इस जिले में किसानों की खुशहाली का आधार खेती रहा है। सावन के महीने में एक दिन की झमाझम बारिश ने खेतों की रौनक बढ़ा दी है। दिनारा, करगहर, शिवसागर, सासाराम, चेनारी सहित अन्य प्रखंडों में खेतों में धान की रोपनी शुरू हो गयी है। किसान खेतों की जुताई करने, बिचड़ा उखाड़ने आदि में व्यस्त हैं। वहीं रोपनी में जुटी महिलाएं खेतों में हरियाली ला रही हैं। किसान अविनाश पाठक, सत्येंद्र सिंह, रमेश चौबे सहित कई की मानें तो आषाढ़ तपने से कृषि कार्य पिछड़ रहा था। अब सावन चढ़ते ही बारिश ने रोपनी कार्य शुरू करा दिया है। राजेंद्र मंसूरी, पूसा सुंगधा व पीआर 118 अब भी किसानों की पसंद है। सोनाचूर धान की खेती भी इस वर्ष काफी की जा रही है।
रोपनहारों की मांग बढ़ी
एक साथ रोपनी शुरू होने से कृषि मजदूरों की कमी हो गयी है। हालांकि अब तक रोपनी की कमान गांवों में महिलाओं द्वारा संभाले जाने के बाद अब पुरुष रोपनहारों की मांग बढ़ गयी है। श्रीविधि तकनीक के बढ़ रहे प्रचलन के कारण सीतामढ़ी व उत्तरी बिहार के अन्य जिलों से हजारों रोपनीहार यहां रोजगार के लिए आने लगे हैं।
कहते हैं कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी वेंकटेश नारायण सिंह ने कहा कि यहां 1.95 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी की जानी है। बारिश के बाद अब रोपनी में तेजी आयी है। 12 प्रतिशत रोपनी कार्य कर लिया गया है। दो-तीन दिनों में और तेजी आएगी। इस वर्ष रोपनहारों को भी प्रशिक्षण दिए जाने से इसका सकारात्मक प्रभाव कृषि पर पड़ रहा है। उत्पादन में वृद्धि होगी।
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