आंखों से नहीं 'दिल' से देखी फिल्में
सासाराम भगवान ने आंखें छिन ली तो क्या हुआ, दिल तो है। आज उसी से एक नहीं, दो-दो फिल्में देखी। सच मानिये आज का दिन सबसे 'खास' रहा।
शनिवार को स्थानीय प्रेक्षागृह में बिहार शिक्षा परियोजना व रेडियो मिर्ची द्वारा आयोजित सांस्कृतिक सह शैक्षणिक कार्यक्रम में दृष्टिहीन 423 छात्रों ने खूब मस्ती की। इन्हें बढि़या खाना, रेडियो, चश्मा व कपड़े भी दिए गए।
सासाराम के उज्ज्वल ने पहली बार सिनेमा देखा। कहा कि 'तारे जमीं पर' उसके मन को छू गयी। नायक- नायिका की तस्वीर भले न देखी हो, पर उनके एक-एक संवाद प्रेरणादायक रहे। शिवसागर की पुष्पा कुमारी व सोनू कुमार को 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' में गांधी जी की बात सबसे अच्छी लगी। बिक्रमगंज के धनंजय, छोटेलाल, सासाराम प्रखंड के मालती कुमारी, मंदीप सहित कई ने कहा कि उनके दिल की आंखें ही रास्ता दिखाती हैं। इस फिल्म ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।
कार्यक्रम का उद्घाटन डीडीसी अरुण श्रीवास्तव, डीइओ रामेश्वर पांडे, सिविल सर्जन डा. शिवानंद, डीपीओ ओमप्रकाश ने संयुक्त रूप से किया। परियोजना के पुनर्वास विशेषज्ञ (फिजियोथेरापिस्ट) डा. संजय कुमार ने कहा कि रोहतास, औरंगाबाद, बक्सर व कैमूर जिला के 423 दृष्टिहीन छात्रों को रेडियो, कपड़ा, चश्मा दिये गया। समावेशी शिक्षा समन्वयक नवीन कुमार ने कहा कि इस तरह का आयोजन पहली बार हुआ है। जहां दृष्टिहीन बच्चे सिनेमा का संवाद सुन आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हुए हों। कार्यक्रम में संसाधन शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
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