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56 प्राइवेट स्कूलों को आरटीई के तहत मिली प्रस्वीकृति

जिले में संचालित हो रहे 56 निजी विद्यालयों को शिक्षा विभाग ने शिक्षा के अधिकार अधिि

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 03:08 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 03:08 AM (IST)
56 प्राइवेट स्कूलों को आरटीई के तहत मिली प्रस्वीकृति
56 प्राइवेट स्कूलों को आरटीई के तहत मिली प्रस्वीकृति

रोहतास। जिले में संचालित हो रहे 56 निजी विद्यालयों को शिक्षा विभाग ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हाल के दिनों में निबंधित किया है। पिछले चार वर्ष के दौरान जिले के अब तक 312 प्राइवेट स्कूलों को प्रस्वीकृति प्रदान की गई है। वहीं 45 स्कूलों से संबंधित आवेदन सत्यापन के फेर में संबंधित प्रखंडों के बीईओ के पास लंबित पड़े हैं। जबकि 258 स्कूलों का आवेदन विभागीय संचिकाओं में धूल चाट रहा है।

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डीपीओ सर्व शिक्षा मो. सईद अंसारी के मुताबिक आरटीई के मापदंड पर खरे उतरने वाले 312 निजी विद्यालयों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रस्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। हाल के दिनों में 56 स्कूलों को प्रस्वीकृति दी गई, जबकि अन्य विद्यालयों की प्रक्रिया जारी है। कहा कि जिले में संचालित हो रहे मापदंड पर खरे उतरने वाले सभी प्राइवेट स्कूलों को अधिनियम के तहत निबंधित किया जाना है। जो विद्यालय मापदंड पर खरे नहीं उतरेंगे या फिर वे अधिनियम के तहत निबंधित नहीं होंगे, उन्हें बंद कर उसके संचालक पर कार्रवाई सुनिश्वित की जाएगी।

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धूल चाट रहा को¨चग संस्थान नियंत्रण अधिनियम

सासाराम : शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों को निबंधित करने का काम तो कर रहा है, लेकिन जिले में धड़ल्ले से खुल रहे को¨चग संस्थानों पर लगाम लगाने की दिशा में कोई कार्रवाई प्रारंभ नहीं की जा सकी है।

सूत्रों की माने तो बगैर निबंधित संचालित हो रहे को¨चग संस्थानों के मामले को प्रशासन जिले में गठित साइबर सेल के जिम्मे देने की रणनीति बना रहा है, ताकि इनपर अंकुश लगाया जा सके। सरकार द्वारा सात वर्ष पूर्व बनाई गई को¨चग संस्थान नियंत्रण व विनिमय अधिनियम यहां विभागीय दफ्तर में धूल चाट रहा है। जिस कारण शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में को¨चग संस्थान का अवैध धंधा बड़े पैमाने पर फल फूल रहा है। जिसका खामियाजा छात्रों व उनके अभिभावकों को एक समान फी नहीं होने के कारण आर्थिक शोषण के रूप में भुगतना पड़ रहा है। अबतक न तो विभागीय अधिकारी व कर्मी को ही यह पता है कि को¨चग संस्थान नियंत्रण अधिनियम क्या है, न प्रशासन को। शायद यही कारण है कि यह अधिनियम जिले में आज तक धरातल पर नहीं उतर सका है। जिससे सरकार को भी बड़े पैमाने पर राजस्व की क्षति हो रही है। पिछले दो बार से इंटर व मैट्रिक परीक्षा में जिले के रहे खराब प्रदर्शन से इन को¨चग संस्थानों के गुणवत्ता पूर्ण व त्वरित शिक्षा देने की भी पोल खुल गई है।


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