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उन्नत खेती में सहायक बना कृषि विज्ञान केंद्र

रोहतास। अनुमंडल मुख्यालय में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र का लाभ अब यहां दिखने लगा है। कृषि व कृषि पर

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 06:45 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 06:45 PM (IST)
उन्नत खेती में सहायक बना कृषि विज्ञान केंद्र

रोहतास। अनुमंडल मुख्यालय में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र का लाभ अब यहां दिखने लगा है। कृषि व कृषि पर आधारित व्यवसाय से जुड़े कार्यक्रमों ने किसानों की समृद्धि का द्वार खोल दिया है। पहले कृषि वैज्ञानिकों की बातों पर विश्वास करने में हिचकिचाहट दिखाने वाले किसान भी अब उनके मुरीद बनते जा रहे हैं। जिससे वे कृषि वैज्ञानिकों के सुझाए तरीकों से खेती कर रहे हैं।

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केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा खेती-बारी के साथ-साथ किसानों को पशु पालन, फल संरक्षण व संवर्धन, मशरुम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, व कृषि यांत्रिकीकरण से संबंधित जानकारी दिए जाने से नकदी व औषधीय फसलों की ओर किसान उन्मुख हो रहे हैं। किसान परंपरागत खेती की तुलना में वैज्ञानिक खेती को अब ज्यादा लाभकारी मान रहे हैं। अच्छे प्रभेदों के बीज उपलब्ध होने व वैज्ञानिक पद्धति से खेती किए जाने का असर उत्पादन पर दिखने लगा है। संझौली के मसोना निवासी अर्जुन सिंह, जयप्रकाश, नोखा में धनंजय सिंह, डेहरी में अनिल कुमार सिंह सहित कई किसान मशरुम व औषधीय पौधों की खेती कर अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।

कहते हैं किसान :

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की बात पहले तो समझ में नहीं आती थी, लेकिन अब उसके फायदे दिख रहे हैं। कृषि में बढ़ते उत्पादन को देख आसपास के किसान भी वैज्ञानिक तरीका अपनाने लगे हैं।

अरुण कुमार पांडेय, पड़रिया

छोटे किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती करने में जोखिम का डर रहता था। लेकिन अब फायदा देख लोग उसे अपनाने लगे हैं।

शिवजी शर्मा, शिवपुर

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से खेती की जा रही है, लेकिन उनके द्वारा सुझाए गए कृषि यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

कृष्णा लाल, शिवपुर

क्षेत्र में श्री विधि से खेती के विस्तार का श्रेय कृषि विज्ञान केंद्र को ही जाता है। उसी का परिणाम है कि लोग अब इस विधि से खेती करने को उत्सुक रहते हैं।

रामचंद्र राम, इंद्रार्थ खुर्द

कहती हैं कृषि वैज्ञानिक

केंद्र की वैज्ञानिक डा. रीता सिंह का कहना है कि महिला कृषकों को फल व सब्जी संरक्षण इकाई द्वारा जैम, अंचार, मुरब्बा, पापड़ बनाने, मशरुम उत्पादन का भी प्रशिक्षण दिया गया है। औषधीय पौधे लगाने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ रही है। मशरुम व मेंथा के प्लांट भी लगाए जा रहे हैं।


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