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आस्था का प्रतीक उदयपुर का सूर्यशीश मंदिर

संवाद सूत्र, संझौली (रोहतास) : जिले में अब भी सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई स्थल हैं जिनकी महत्

By Edited By: Published: Tue, 28 Oct 2014 01:03 AM (IST)Updated: Tue, 28 Oct 2014 01:03 AM (IST)
आस्था का प्रतीक उदयपुर का सूर्यशीश मंदिर

संवाद सूत्र, संझौली (रोहतास) : जिले में अब भी सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई स्थल हैं जिनकी महत्ता दूर-दूर तक फैली है। उन्हीं में से एक है संझौली प्रखंड का उदयपुर गांव स्थित सूर्यशीश मंदिर। छठ महापर्व में भास्कर के दर्शन के लिए भक्तों का भारी हुजूम यहां जुटती है। जिले के अलावे भोजपुर, बक्सर व अन्य सीमावर्ती जिलों से भी लोग यहां आकर छठ पूजा करते हैं।

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सत्यनारायण दास फलहारी बाबा ने बनाया था मंदिर : मंदिर निर्माण के संबंध में बताया जाता है कि प्रसिद्ध संत शिवानंद स्वामी जी ने मंदिर का शिलान्यास किया था। लेकिन इस मंदिर को संत सत्यनारायण दास योगीराज (फलहारी जी महाराज) ने निर्माण कार्य पूरा कराया।

मंदिर की विशेषता : सूर्योदय की पहली किरणें मंदिर में स्थापित भगवान भास्कर की प्रतिमा को प्रतिदिन स्पर्श करती है। जिसे देखने के लिए भीड़ जुटती है। सूर्य मंदिर सरोवर के किनारे लगे वृक्ष मनोरम दृश्य उपस्थित करते हैं। पश्चिमी किनारे रामजानकी मंदिर, शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, दुर्गा मंडप यहां के सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं। इस क्षेत्र का यह एक मात्र सूर्य शीश मंदिर है, जो विशाल सरोवर के बीचोबीच स्थित है।

मंदिर तक जाने का मार्ग : जिला मुख्यालय सासाराम से 30 किमी उत्तर व बिक्रमगंज से 12 किमी दक्षिण स्थित संझौली से तीन किमी की दूरी पर उदयपुर गांव स्थित है।


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