स्वच्छता मिशन की धीमी है रफ्तार
स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत निगम क्षेत्र में शौचालयों का निर्माण तो चल रहा है ¨कतु इसकी र
स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत निगम क्षेत्र में शौचालयों का निर्माण तो चल रहा है ¨कतु इसकी रफ्तार धीमी है। दो वर्षों में 2000 शौचालय का निर्माण भी पूरा नहीं किया जा सका है। मिशन के तहत अभी 1800 शौचालयों के निर्माण का कार्य जारी है। लेकिन अभी तक एक भी न तो सामुदायिक न ही सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जा सका है जो ¨चता का विषय है।
दो-दो रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर आने जाने वाले यात्रियों खासकर महिलाओं व स्कूल व कॉलेज जाने वाली छात्राओं के लिए पूरे शहर में एक भी शौचालय नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कहने को तो पूर्णिया नगर निगम भी है और 46 वार्डों वाली इस नगर निगम में पौने तीन लाख की आबादी बसती है। प्रमंडल का सबसे बड़ा बाजार व मेडिकल हब होने के नाते पूर्णिया शहर में रोजाना 25-30 हजार महिला-पुरूषों का ट्रांजिट विजिट भी होता है। लेकिन सार्वजनिक शौचालय के अभाव में उन्हें रोजाना परेशानी झेलनी पड़ती है।
मलिन बस्ती में शौचालय निर्माण की संवर्धन योजना के तहत भी नगर क्षेत्र में सिर्फ 396 शौचालयों का निर्माण ही किया जा सका है। जबकि सरकार की यह योजना अब बंद भी कर दी गई है।
नगर आयुक्त सुरेश चौधरी ने कहा कि गत स्थायी समिति की बैठक में स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे शहर में दर्जन भर शौचालय का निर्माण कराने का निर्णय ले लिया गया है। छह स्थानों का चयन भी कर लिया गया है। इसी वित्तीय वर्ष में उसका निर्माण भी करा लिया जायेगा। जिन स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय के लिए जगह चिन्हित किया गया है उनमें आरएन साह चौक पर यातायात थाना के बगल में, सदर अस्पताल गेट, जिला स्कूल की बाउंड्री के अंदर, पूर्णिया जंक्शन, जीरोमाईल चौक और बाजार समिति गेट के सामने स्थान शामिल है। साथ ही उन्होंने कहा कि बाकी अन्य जगहों पर शौचालय के निर्माण के लिए स्थल चयन किया जा रहा है।
स्वच्छता मिशन का लक्ष्य हर घर में शौचालय का निर्माण है। नगर क्षेत्र की करीब पौने तीन लाख की आबादी में अभी भी काफी परिवार बिना शौचालय के गुजर-बसर कर रहे हैं। मिशन के तहत ही दो वर्षों में 6,291 परिवारों के शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें एक तिहाई शौचालय का भी निर्माण पूरा नहीं किया जा सका है। ऐसे में निर्धारित लक्ष्य की दो तिहाई आबादी अभी भी बिना शौचालय के है।
नगर में स्वच्छता का भी हाल बेहाल है। करोड़ों के बजट वाले नगर
निगम के पास कूड़ा निस्तारण के लिए दो गज जमीन उपलब्ध नहीं है। फलत: पूरा शहर कचरा-कचरा है। जबकि हर रोज 15 से 20 ¨क्वटल कचरा शहर से निकलता है जिसे नगर में ही बदल-बदल कर गड्ढों में फेंका जाता है। 500 से अधिक डाक्टरों के क्लिनिक वाले क्षेत्र लाइन बाजार से मेडिकल कचरा भी बड़ी मात्रा में निकलता है। उसका निस्तारण बड़ी समस्या है। वहीं हर मोहल्ले में कचरा जमा करने के लिए डस्टबीन लगाए जाने की योजना पर भी पानी फिर गया है। मोहल्ले में डस्टबीन नहीं होने से लोगों को अपने घरों के कूड़े का निस्तारण सड़कों पर ही करना पड़ता है। जिससे शहर में कचरा पसरा रहना स्वभाविक ही है।