गबालूटोल के ऐतिहासिक तालाब को होगा जीर्णोद्धार
पूर्णिया (सुशांत कुमार)। तालाबों को पुनर्जीवित करने की दैनिक जागरण की मुहिम का चौतरफा अ
पूर्णिया (सुशांत कुमार)। तालाबों को पुनर्जीवित करने की दैनिक जागरण की मुहिम का चौतरफा असर दिखने लगा है।इस अभियान के शुरू होने के साथ जनप्रतिनिधि, अधिकारी, बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी संगठन समाज के मुख्य धरोहरों में शामिल तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया जा रहा है। गांववालों ने अनुमंडल के बीकोठी प्रखंड अंतर्गत बालूटोला गांव में स्थित पोखर का जीर्णोद्धार करने का संकल्प लिया है।
उक्त पोखर का रकवा 4 एकड़ से भी ज्यादा में फैला हुआ है एवं इसका इतिहास करीब 200 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। इस तालाब को गांव के एक राजा के द्वारा खुदवाया गया था। कभी यह तालाब ना सिर्फ बालुटोल बल्कि पूरे अनुमंडल में अपनी एक अलग पहचान रखता था। इस पोखर से बालुटोल समेत आसपास के दर्जनों गांव के लोग अपनी एवं अपने पशुओं की प्यास बुझाते थे एवं इस तालाब में कई प्रकार की देशी मछलियों का पालन होता था। इस तालाब की रेहू, कतला एवं कबय मछली बिहार, नेपाल एवं बंगाल तक के लोगों के बीच मशहूर थी। वहीं इस पोखर के चारों किनारों पर बड़ी संख्या में फलदार वृक्ष लगाए गये थे जो लोगों को फल देने के साथ इंसानों एवं पालतू पशुओं को छांव भी प्रदान करते थे। इस तालाब की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आजादी से पूर्व इस पोखर से 10 कदम की दूरी पर स्वत्रंता सेनानियों का एक कार्यालय भी अवस्थित था जिसका नाम था ग्रुप। जहां बैठकर भारत माता के वीर सपूत अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने की रणनीति बनाते थे। लेकिन दुर्भाग्य जनक है कि बदलते समय के साथ इस तालाब की हालात दिन ब दिन खराब होती गयी। उपेक्षा के कारण तालाब की न साफ-सफाई हो सकी और जीर्णोद्धार। आज आलम यह है कि जीवनदायिनी यह तालाब आज खुद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। लेकिन जागरण द्वारा तालाबों को ¨जदा करने हेतु चलाये गए अभियान के बाद इस तालाब के मालिक समेत स्थानीय बुद्धिजीवी अब इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए एकजुट हुए हैं। सभी ने एक साथ मिलकर जागरण की मुहिम का साथ देते हुए इस तालाब को जीवित करने की शपथ ली है। जल्द ही इस तालाब का कायाकल्प संभव हो जाएगा।