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नक्शे से मिटने को तैयार पुरानीडीह पोखर

पूर्णिया। कभी धमदाहा के स्वर्णिम इतिहास में साझीदार रहे प्रखंड के धमदाहा-पूर्णिया स्टेट हाइवे पर स्थित चंडी स्थान, पुरानीडीह स्थित तालाब आज बदहाली के आंसू बहा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 02:59 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jun 2017 02:59 AM (IST)
नक्शे से मिटने को तैयार पुरानीडीह पोखर
नक्शे से मिटने को तैयार पुरानीडीह पोखर

पूर्णिया। कभी धमदाहा के स्वर्णिम इतिहास में साझीदार रहे प्रखंड के धमदाहा-पूर्णिया स्टेट हाइवे पर स्थित चंडी स्थान, पुरानीडीह स्थित तालाब आज बदहाली के आंसू बहा रहा है। एक जमाने में पूरा धमदाहा मध्य का ब्राह्मण टोला इसी तालाब के आसपास बसता था। इस तालाब का क्षेत्रफल करीब दो एकड़ में फैला हुआ है। इस पोखर पर छठ का त्यौहार धूमधाम से मनाते थे एवं यहां पर आकर्षक मेले के आयोजन के साथ नेपाल से आए कलाकारों के द्वारा रामलीला का मंचन भी किया जता था जिसे देखने के लिए पूरे प्रखंड के लोग आते थे। यह तालाब इस पूरे टोले के लोगों की प्यास तो बुझाती ही था साथ ही इस तालाब में कई दुर्लभ प्रजाति की मछलियों का भी पालन होता था। सर्दियों के दिन में इस तालाब में देसी पक्षियों के साथ कई विदेशी नस्ल के पक्षी भी यहां सर्दी बिताने आते थे। इस तालाब के आसपास बसे लोग इस तालाब में स्नान करने के बाद सबसे पहले इस तालाब की पूजा करते थे उसके बाद ही अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना इसी तालाब के जल से की जाती थी एवं पूरा तालाब कमल की फूल से पटा रहता था। इस तालाब के चारों और बड़े-बड़े फलदार वृक्ष लगे हुए थे जो मीठे फल देने के साथ चिलचिलाती धूप में जानवर एवं इंसानों को ठंढी छांव भी प्रदान करता था। 1950 ई में पुरानीडीह टोले में भयंकर अगलगी की घटना हुई और पूरा टोला जलकर राख हो गया इसके बाद गांव के लोगों ने वहां से पलायन कर कहीं और बसने की ठान ली एवं वहां से सभी ग्रामीण धमदाहा कुंवारी मुख्य मार्ग के दोनों और बसने लगे एवं पुरानीडीह जो कभी एक आबाद बस्ती थी घने जंगलों की आगोश में समा गया। यहां स्थित यह तालाब देखरेख के अभाव में धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोने लगा है। आज आलम यह है कि कभी हजारों लोगों के आस्था का केंद्र रहा यह तालाब आज अपना अस्तित्व खो बैठा है। तालाब के सूख जाने के कारण इसमें खेती की जाने लगी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस पोखर को बचाने के लिए हमसब ने कई बार अधिकारियों से मिलकर गुहार लगाई लेकिन हमें कोई मदद नही मिली। अब वजह चाहे जो भी हो लेकिन अगर अब भी इस तालाब को बचाने की दिशा में पहल नहीं हुई तो यह तालाब नक्शे से भी मिट जाएगा।


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