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ब्रोकरों का कारनामा, बेच डाली ढाई अरब की सरकारी जमीन

पूर्णिया में 43.90 एकड़ बेशकीमती सरकारी जमीन ब्रोकरों ने बेच डाली। वो भी सरकारी को निजी बनाकर।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 10:01 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 10:02 AM (IST)
ब्रोकरों का कारनामा, बेच डाली ढाई अरब की सरकारी जमीन

पूर्णिया (मनोज कुमार)। पूर्णिया में 43.90 एकड़ बेशकीमती सरकारी जमीन ब्रोकरों ने बेच डाली। वो भी सरकारी को निजी बनाकर। उक्त जमीन की सरकारी कीमत मुख्य सड़क किनारे 6 लाख 50 हजार रुपये प्रति डिसमिल और सहायक सड़क से सटी भूमि 6 लाख प्रति डिसमिल है। छह लाख प्रति डिसमिल के हिसाब से उक्त जमीन की कीमत 2 अरब 63 लाख होती है, लेकिन वर्तमान में उस जमीन की कीमत 15 से 20 लाख रुपये प्रति क_ा है। यानी फिलहाल यह जमीन खरबों की है। ब्रोकरों ने उक्त जमीन को रसूखदार लोगों को बेच दी है। फिलहाल उक्त जमीन पर डॉक्टरों के बड़े-बड़े क्लीनिक बने हुए हैं।

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कराई गई जांच

मामला प्रकाश में आने के बाद डीएम के निर्देश पर तत्कालीन एसडीओ, डीसीएलआर एवं एडीएम से इसकी जांच कराई गई। जिसके बाद इसे अपर समाहर्ता न्यायालय में वाद सं. 38 से 49 के तहत सुनवाई के लिए दर्ज कराया गया। अधिकारियों के जांच प्रतिवेदन के आधार पर अपर समाहर्ता धनंजय ठाकुर ने गत 12 जनवरी को उक्त खाता की सभी जमीनों की जमाबंदी रद करने का निर्देश दिया है। आदेश लागू होने के बाद उक्त जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया जायेगा।

माधोपाड़ा मौजा अंतर्गत खाता 77 के तहत 18 खेसरों में 43.90 एकड़ जमीन दर्ज है। आरएस सर्वे में उक्त जमीन बिहार सरकार के नाम दर्ज है। लेकिन कर्मचारी, सीआइ एवं सीओ की मिलीभगत से उक्त जमीन को नामांतरित कर रैयतों के नाम जमाबंदी कायम कर दिया गया। ऐसा भू-माफियाओं के इशारे पर किया गया। योजना के तहत उक्त जमीन को तीन-चार बार नामांतरण किया गया और फिर रसूखदार लोगों को खरबों में बेच दिया गया।

सूचना मिलने के बाद तत्कालीन डीएम पंकज कुमार ने इसकी जांच के आदेश दिए। डीएम के आदेश पर पहले एसडीओ, डीसीएलआर एवं तत्कालीन अपर समाहर्ता शैलेश नंदन दिवाकर ने जांच की और अपना जांच प्रतिवेदन सौंपा। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि उक्त जमीन बिहार सरकार की है, जिसे संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से नामांतरण कर रैयती जमाबंदी कायम कर दी गई। डीएम ने उक्त जांच प्रतिवेदन अपर समाहर्ता न्यायालय में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जिसके बाद न्यायालय में यह वाद 38 से 49, 14-15 के तहत दर्ज हुआ और सुनवाई के बाद गत 12 जनवरी को सभी जमाबंदी रद करने का आदेश जारी कर दिया गया।


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