गंगा का उफान, कोसी का कोहराम
पूर्णिया । गंगा जब उफान पर होती है तो कोसी कोहराम मचाती है। गंगा के इस उफान को पूर्णिय
पूर्णिया । गंगा जब उफान पर होती है तो कोसी कोहराम मचाती है। गंगा के इस उफान को पूर्णिया प्रमंडल के कटिहार के अलावा भागलपुर, खगड़िया और मुंगेर झेल रहा है वहीं कोसी के कोहराम से पूर्णिया का रूपौली प्रखंड त्राहिमाम कर रहा है। बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। रोजाना नये इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा है। हर साल बाढ़ झेलना और भाग्य को कोसते रहना लोगों की नियति बन गयी है।
कोसी नदी हिमालय से निकलकर कटिहार के कुरसेला में गंगा में मिलती है। इस नदी पर तटबंध नहीं बना था तो यह इसकी उच्छृंखल धारा हजारों वर्षों से गंगा से मिलने के लिए आतुर बन सहरसा से पश्चिम बंगाल के पद्मा नदी तक फिर पश्चिम की ओर लौटती हुई दरभंगा के पूरब स्थित कमला धार तक चक्कर काटती रहती थी। यह क्रम लगातार जारी रहता था और यह अपनी छाड़न धाराओं को नवजीवन प्रदान करती रहती थी। इस क्रम में यह सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया और पूर्णिया जिले में तबाही मचाती थी। कोसी की धाराओं को दो तटबंधों के बीच बांधने का काम 1959 में पूरा हुआ। इसे वीरपुर से कोपड़िया तक पूर्वी तटबंध के अंदर 125 किलोमीटर एवं नेपाल के भारदह से घोघेपुर तक पश्चिम तटबंध 126 किलोमीटर के बीच बांधा गया। माना गया कि इससे दो लाख 14 हजार हेक्टेयर भूमि की सुरक्षा होगी। 1963 में कोसी बराज का निर्माण पूर्ण हुआ। इसके साथ ही कोसी दो तटबंधों के बीच बहने लगी। यह भारत में सुपौल जिले के भीमनगर में प्रवेश करती है और कटिहार जिले के कुरसेला में गंगा में मिलती है। यहां कोसी पश्चिम से आती है और उत्तर से दक्षिण की ओर बह रही गंगा से संगम करती है। गंगा का जलस्तर जब बढ़ा होता है तो इसका पानी गंगा में प्रवाहित नहीं हो पाता है और उफनाकर निकटवर्ती इलाकों में फैल जाता है। परिणाम होता है कि रूपौली प्रखंड के बीचोंबीच बह रही कोसी धार उछाल मारने लगती है। यह धार प्रखंड के पुरानी नंदगोला के समीप कोसी की मुख्य धारा में शामिल हो जाती है। इसका असर कुरसेला के अलावा जिले के रूपौली प्रखंड में सर्वाधिक होता है। फिलहाल इस दंश को रूपौली के लोग झेल रहे हैं। यहां के प्रभावित पंचायत कोयली सिमड़ा पूरब, कोयली सिमड़ा पश्चिम, भौवा प्रवल, विजय मोहनपुर, विजय लालगंज, कांप, नाथपुर, डोभा मिलिक, गोड़ियरपट्टी, श्रीमाता, छर्रापट्टी में बुधवार को भी पानी बढ़ रहा था। इधर जिला प्रशासन द्वारा पूर्ण प्रभावित पांच पंचायतों कोयली सिमड़ा पूरब, कोयली सिमड़ा पश्चिम, भौवा प्रवल, विजय मोहनपुर, विजय लालगंज में राहत वितरण शुरू कराया गया है। इन इलाकों में फसलों की व्यापक क्षति हुई है। चापाकल डूब जाने के कारण पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी है। बाढ़ पीड़ितों के इलाज के लिए मेडिकल कैंप क्षेत्र में काम कर रहे हैं। बावजूद इसके बाढ़ के बढ़ते पानी की तरह पीड़ितों की पीड़ा भी बढ़ती जा रही है। सांसद संतोष कुशवाहा, जिला अधिकारी पंकज पाल ने पीड़ितों से मिलकर हर संभव मदद का आश्चासन दिया है।