Move to Jagran APP

समंदर सा नजारा, नहीं मिल रहा कोई सहारा

पूर्णिया। पानी ही पानी का नजारा है। खेतों में लगी फसल की जगह केवल पानी नजर आ रहा है। खे

By Edited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 03:05 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 03:05 AM (IST)
समंदर सा नजारा, नहीं मिल रहा कोई सहारा

पूर्णिया। पानी ही पानी का नजारा है। खेतों में लगी फसल की जगह केवल पानी नजर आ रहा है। खेतों में कहीं-कहीं केवल पटुआ या ढ़ैचा का पौधा का कुछ भाग ही पानी के उपर नजर आ रहा है। इन दिनों अधिकांश किसान अपने खेतों में धान की रोपनी किए हुए था। इसके लिए खेतों में पानी नही रहने के कारण खेत का पटवन कर किसानों ने धानरोपनी की। प्रति एकड़ बारह से तेरह हजार रूपये की लागत से की गइ फसल बर्बाद हो गई। बाढ़ आने के एक दो दिन तक किसानों को यह उम्मीद थी शायद बाढ़ का पानी घट जाएगा तो उनका धान का फसल हो जाएगा। सप्ताह भर से खेतों में पानी लगे रहने के कारण अब किसानों की यह उम्मीद समाप्त हो चुकी है। कई किसान इसके लिए बैंक से ऋण लिए है तो कई जीविका से ऋण लेकर रोपनी किए। कई ने इसके लिए अपने पत्नी के जेबर गिरवी रख सूद पर पैसे लेकर धान की खेती की। देखते ही देखते किसानों के चेहरे की मुस्कुराहट, गम में बदल गए। अब इनकी पूंजी भी गई साथ ही कर्ज के तले भी दब गया। शनिवार को पानी घटने लगा। लेकिन रविवार की दोपहर से पुन: नदियों का पानी बढ़ने लगा। पंचायत को जोड़ने वाली सभी प्रधानमंत्री सड़क पर जगह-जगह पूर्व की ही भांति सड़क पार करने लगी। कहीं पचास फीट तो कहीं सौ फीट की दूरी तक सड़क पर पानी की तेज धार प्रवाहित होने लगी। सोमवार की सुबह प्रखंड के सभी पंचायत का मुख्य सड़क से रास्ता अवरूद्ध हो गया। जिन-जिन घर से पानी निकला था उन घरों में पहले से भी अधिक पानी भर

loksabha election banner

गया। प्रखंड के लगभग सभी पंचायत के लोग परेशान हैं। बाढ़ प्रभावित इस क्षेत्र के कुछ ही लोग ऐसे हैं जिनके आंगन में पानी नहीं गया है। दर्जनों पीड़ति परिवार ऐसे है जिन्हें पका हुआ चावल, दाल कई दिनों से नसीब नहीं हुआ है। ये घर में रखे भुजा, चूड़ा या दुकान में बने धुधनी, बिस्कुट खाकर जीवन गुजार रहे हैं। बच्चों के चेहरे उड़े हुए हैं गांव में चल रहे विद्यालय में पानी भर जाने के कारण इन बच्चों के निवाले भी बंद हो चुके हैं। बाढ़ पीड़ति अपने बच्चे के इस हाल को लेकर खुद को कोस भी रहे हैं कि आखिर इन बच्चों की नसीब भी क्या है जब घर में खाना पकता था तब इनके स्कूल में भी बच्चे को खाना जबरन भी खिलाया जाता था आज जब इनके पेट में सीझे दाने के लाले पड़े हुए हैं तो स्कूल में भोजन नदारद हो गया। शिक्षक स्कूल में दिखाई भी नहीं देते हैं माने इनकी भी अवकाश हो गई है। सभी पंचायत में अब तक केवल दो स्थानों पर ही शिविर लगातार चल रहा है। हर किसी को अब तक सूखा राशन का इंतजार है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.