गुलाबबाग नाका के सामने साल भर से चल रहा था गोरखधंधा
पूर्णिया। सवाल नकली नील व जूस फैक्ट्री का नहीं बल्कि गुलाबबाग नाका के सामने चल रहे इस गोरखधं
पूर्णिया। सवाल नकली नील व जूस फैक्ट्री का नहीं बल्कि गुलाबबाग नाका के सामने चल रहे इस गोरखधंधे का है। यह तो महज संयोग ही था कि गुलाबबाग नाका से लगभग दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित खटाल पट्टी में सदर डीएसपी राजकुमार साह ने छापेमारी कर इस गोरखधंधे को उजागर किया। कहने को तो मौके पर नाका प्रभारी व सदर थाने की पुलिस भी थी कि लेकिन बड़े पैमाने पर हो रहे नकली पै¨कग का यह धंधा सबकुछ बयां कर रहा था। शिवशंकर रजक के घर साल भर से चल रहे इस धंधे का सच यही है कि दिन के उजाले में नकली उजाला नील से साहबों का चेहरा भी चमकाया जा रहा था व नकली फ्रूट जूस यानि अनार जूस से भले ही आम आदमी की जेब व सेहत से खिलवाड़ हो रहा था मगर सरकारी बाबुओं की सेहत जरूर बन रही थी।
- फैक्ट्री नहीं शिवशंकर रजक के घर का था कुटीर उद्योग
शिवशंकर रजक की पत्नी व बड़े बेटे रवि कुमार रजक की मानें तो साल भर से चल रहे इस धंधे में परिवार के आठ लोगों की भागीदारी थी। इसके लिए बकायदा केनरा बैंक समेत अन्य बैंकों से कर्ज भी लिया था और भारत सरकार के लघु उद्योग एवं सूक्ष्म इकाई के द्वारा पूनम नील के नाम पर उद्योग लगाने का लाइसेंस भी लिया था। हालांकि एमएसएमई के लाइसेंस को सदर डीएसपी ने संदेहास्पद बताते हुए जांच कराने की बात भी कही है। रवि रजक ने साफ शब्दों में कहा कि पाउडर व पानी के घोल को चूल्हे पर गर्म कर नील तैयार करते हैं, चीनी पानी के घोल को गर्म कर अजंता रंग डालकर जूस तैयार करते हैं तथा डालडा को छोटे डिब्बे में भरकर देशी गाय घी के नाम से बेचता है। रवि रजक के अनुसार इसे तैयार करने में मजदूर की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि परिवार के सभी लोग मिलकर ही तैयार करते हैं।
-18 रुपये में एक लीटर अनार जूस व 13 रुपये में आधा लीटर नील होता था तैयार
शिवशंकर रजक के इस गोरखधंधे का स्याह सच यही था कि रमजान व होली जैसे त्योहारों के मौके पर नोट कमाने की ललक में लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा था। व्यापार में सब कुछ जायज है इसी तर्ज पर चल रहे नकली पै¨कग की परत दर परत पोल खुलता चला गया। संचालक शिवशंकर रजक का बेटा रवि ने बेझिझक होकर सारी सच्चाई से रूबरू कराया। रवि के अनुसार खौलता पानी में चीनी और अजंता रंग मिलाकर फ्रूट जूस तैयार किया जाता था। इसकी लागत बमुश्किल 13-18 रूपये आता है तथा आधे लीटर की नील की पै¨कग में 11-13 रूपया खर्च आता है। इसी तरह 250 मिली, 100 मिली की नील भी तैयार किया जाता है। महीन में आधे लीटर नील की 2400 बोतल, 250 मिली की 2000 बोतल, 100 मिली की 8000 बोतल नकली नील तैयार की जाती है तथा पर्व त्योहारों के समय 5000 लीटर फ्रूट जैस तैयार किया जाता है। इस तैयार माल का मार्के¨टग भी शिवशंकर रजक दोनों बाप बेटा ही करता है। सप्ताह में दो दिन माल तैयार करता है तथा बांकी के पांच दिन टेम्पो पर लादकर डगरुआ, बायसी, अमौर, जलालगढ जैसे ग्रामीण इलाकों के दुकानदारों को बेचता है।