आखिर 20 घंटे बाद प्राथमिकी एवं इंज्यूरी क्यों
रूपौली (पूर्णिया), निसं: मेरे उपर लगाए गए आरोप गलत हैं। यह सही है कि सीओ संत शरण द्वारा सेवानिवृत्ति की बात कह कर उन्हें रात में काम कर देने की बात कहकर डेरा पर रात को बुलाया था। उनके आदेश पर ही वह कर्मचारी नारद मंडल के पास गए थे। वह बंद दरवाजे पर दस्तक दी थी परंतु अंदर दरवाजा खोलने से पहले ही गिरने की आवाज सुनाई पड़ी थी तथा दरवाजा खुलने पर उन्होंने बताया कि उसका पैर लूंगी में फंस जाने के कारण नीचे मुंह के बल गिर पड़े थे। वे लोग उसे तत्काल अस्पताल ले जाने वाले थे परंतु उन्होंने कहा कि पहले वह सीओ साहब के पास चलते हैं। वह साथ में मोटर साइकिल से सीओ के आवास पर गया था, जहां जब उसे कागज दिखाया गया तब वे संतुष्ट हो गए थे। परंतु सीओ साहब भी बोले कि उसे वे अस्पताल में दिखवा देंगे। वह सीओ साहब के आवास से पुन: घर लौट आए थे। उन्होंने कहा कि यह उनके खिलाफ एक सोची-समझी साजिश है। आखिर जब उन्होंने उन पर मारने का आरोप लगाया है तब वे उसी समय बगल के थाना में क्यों नहीं रिपोर्ट दर्ज करवाई तथा इंज्यूरी करवाया? दूसरी बात यह कि 20 घंटे बाद मामला दर्ज एवं इंज्यूरी क्यों हुआ, वे खुलासा करते हैं कि जब भी जनप्रतिनिधि किसी का काम करना चाहते हैं उन्हें आरोप में फंसा दिया जाता है।
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