आलू की फसल सूखने से किसान परेशान
पूर्णिया। अब यहां के किसान आलू की खेती को बाय-बाय कर रहे हैं। सरकार की बेरूखी तो कभी प्रकृति की मार
पूर्णिया। अब यहां के किसान आलू की खेती को बाय-बाय कर रहे हैं। सरकार की बेरूखी तो कभी प्रकृति की मार ने आलू किसानों के हौसले को पस्त कर दिया है। प्रखंड में किसानों के आलू की फसल झुलसने लगे हैं। लिहाजा प्रखंड के आलू की खेती करने वाले किसान आलू से दामन छुड़ाकर मक्का सहित अन्य फसलों की खेती की ओर रुख कर गए है। फलत: अब यहां के किसान आलू की खेती को बाय-बाय कर रहे हैं। वहीं अगर सरकारी आकड़ों की बात करें तो वर्ष दर वर्ष आलू की खेती को बढ़ते क्रम में दिखाया गया है। जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि प्रखंड में आलू उत्पादक किसानों में वर्ष दर वर्ष दिलचस्पी घटी है। प्रखंड के बरेटा, मोहनी, सब्दलपुर, कुल्लाखास, घोड़दौड, मल्हरिया पंचायतों के किसानों को आलू के प्रति लगभग मोहभंग हो चुका है। यहां के किसान अब आलू की जगह मक्का, साग-सब्जियों की खेती की ओर रूख कर चुके हैं। सब्दलपुर, कुल्लाखास, मल्हरिया पंचायत में पहले व्यापक पैमाने पर आलू की खेती होती थी। लेकिन अब इन पंचायतों के आधे से अधिक किसान पहले की तुलना में आधी जमीन पर ही आलू की खेती कर रहे हैं। यहां के किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा आलू किसानों को किसी प्रकार का प्रोत्साहन नहीं मिलने से स्थानीय किसान आलू की खेती से विमुख हो रहे हैं। सरकार व प्रकृति की बेरूखी, बाढ़ व कटाव से जूझ रहे प्रखंड के किसानों को अक्सर प्रकृति की मार भी झेलनी पड़ती है। खेतों में जलजमाव आदि की समस्याओं के कारण लोगों का आलू के प्रति मोहभंग हो रहा है। खाद-बीज व दवाओं के उंचे चढ़ते कीमतों में आधी से भी कम जमीन में आलू की खेती कर रहे हैं।
क्या कहते हैं किसान
मोहनी, टीकापुर, मिर्जाबाड़ी के किसान प्रताप यादव, दिनेश यादव, मो. मूसा, तबरेज, अवधेश यादव का कहना है अब हमलोग पहले की तुलना में आधी से भी कम जमीन में आलू की खेती कर रहे हैं ये किसान अब पहले की तुलना में मात्र एक चौथाई जमीन पर आलू की खेती कर रहे हैं। इनका कहना है कि वर्तमान परिवेश में आलू की खेती का काम काफी जोखिम भरा हो गया है, लागत उठाने का रिस्क हमेशा बना रहता है इसलिए आलू की खेती को कम कर दिया है। इस वक्त इन किसानों का अधिक ध्यान मक्का, साग-सब्जियों की खेती की ओर मुड़ गया है।
क्या कहते हैं अधिकारी
किसानों को निरंतर प्रशिक्षण के माध्यम से नई तकनीकी की जानकारी के साथ-साथ आलू की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
-राकेश मिश्र, प्रखंड कृषि पदाधिकारी