फौजी के लिए देश है सबसे ऊपर
पूर्णिया। फौजी के लिए देश सबसे ऊपर होता है। वो आ़खरिी सांस तक, जान की परवाह न करते हुए बर्फीली चोटिय
पूर्णिया। फौजी के लिए देश सबसे ऊपर होता है। वो आ़खरिी सांस तक, जान की परवाह न करते हुए बर्फीली चोटियों और रेतीली सीमाओं की गहरी प्रतिबद्धता से रखवाली करते हैं। इस दिवाली एक दिया उन शहीदों के नाम जलाते हैं, चलिए, जिसकी वजह से हमारी होली-दिवाली महफू•ा है। ये आह्वान है रामनाथ गोयनका पुरस्कार से सम्मानित स्थानीय अनु ¨सह चौधरी का। श्रीमती चौधरी पत्रकार के साथ साथ साहित्य सेवा भी कर रही हैं।
परोरा निवासी मनीष चौधरी की धर्मपत्नी अनु ¨सह चौधरी कहती हैं कि दीवाली की रोशनी अभी से चौखटों, दरवा•ाों और छतों पर जगमगाने लगी है। घरों की सफाई होगी। मिठाईयां बंटेगी। दीवाली और छठ के लिए परदेसियों का काफिला हर साल की तरह इस साल भी अपने शहर, अपने गांव, अपने घर लौटेगा। जो नहीं लौट पाएंगे, उनकी याद लौटेगी। नहीं लौट पानेवालों में हजारों फौजी होंगे जो दूर-दराज की सरहदों की रखवाली में जुटे हैं।
सैनिक अपनी जान पर खेलकर हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, वे हमारे असली हीरो हैं। देश की सुरक्षा उन्हें अपनी जान से भी अधिक प्यारी है। देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर शहीदों का सम्मान हमारे सभी कर्तव्यों से ऊपर है। आइए, उन वीर सपूतों के सम्मान में आने वाले दीपावली में हम एक दीया शहीदों के नाम का जलाएं।
श्री मती चौधरी कहती हैं खुले वातावरण में आज हम स्वच्छंद ¨जदगी जी रहे हैं, आजाद पंछी सा उनमुक्त विचरण कर रहे हैं, ये इसलिए संभव है क्योंकि हमारे सैनिक सीमा पर मुस्तैदी से दिन-रात चौकस हैं। जरा सी चूक हुई तो दुश्मन हमारा सुख-चैन छीन लेंगे। लेकिन हमारे सैनिक न सिर्फ दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देते हैं बल्कि अनुशासन और इंसानियत की मिशाल भी पेश करते हैं। आज हमारे पड़ोसी देश सीमा से लेकर चोरी छिपे देश में आतंकवादी गतिविधियों को हवा दे रहे हैं। परंतु हमारे सैनिक अपनी जान देकर भी देश की सीमा पर आंच नहीं आने दे रहे। देश की आन के लिए अपनी जान देने वाले अमर शहीदों का सम्मान हमारा परम कर्तव्य है। इसलिए आइए इस दीपावली हम अमर शहीद के नाम एक दीया जलाकर उनका सम्मान करें।