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यहां तंग जमीं ना आसमां ही है सिकुड़ा, कहीं नहीं है ये मंजर का टुकड़ा

पूर्णिया। सज -धज देखो, दिन में चांदी शाम में सोना रुप, भीगी भागी शाखों पर हीरे जैसी धूप, शक्ल कटरे

By Edited By: Published: Sat, 13 Feb 2016 10:37 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2016 10:37 PM (IST)
यहां तंग जमीं ना आसमां ही है सिकुड़ा, कहीं नहीं है ये मंजर का टुकड़ा

पूर्णिया। सज -धज देखो, दिन में चांदी शाम में सोना रुप, भीगी भागी शाखों पर हीरे जैसी धूप, शक्ल कटरे की समुंदर का जीगर रखते हैं। बांसूरी और फूस का रखतब है। रह के वादी में हिमाला पे नजर रखते हैं। यहां तो आज भी रातों में हंसते-बोलते हैं लोग फूल भरी शाखों पर तकते है लोग, यहां तंग जमीं ना ही आसमां ही है सिकुड़ा। ये पंक्ति पूर्णिया गीत से ली गई है। इस गीत के रचनाकार प्रो. तारिख जमेली है। पूर्णिया के स्थापना दिवस के मौके इस गीत को याद किया जाना लाजिमी है। 14 फरवरी को हर साल जिले का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस तिथि के तय करने के पीछे लंबी बहस और शोध किया गया था। पूर्णिया जिला का इतिहास काफी पुराना है। करीब 246 साल पहले से जिले का अस्तित्व है। इसलिए जब यह तय हुआ कि सभी जिले का स्थापना दिवस मनाया जायेगा तो पूर्णिया जिले के स्थापना लेकर जानकारों के बीच मतैक्य नहीं था। इसलिए तत्कालीन डीएम ने 2007 में प्रो. रामेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। इस टीम में पत्रकार स्व. शंकर डे और साहित्यकार, इतिहास के जानकार को शामिल किया गया था। प्रो. रामेश्वर प्रसाद ब्रिटिश इतिहास के ज्ञाता है। उन्होने पूर्णिया में ब्रिटिश कालीन दस्ताबेज के साथ ही दिल्ली और ब्रिटेन तक के दस्तावेजों की गहरी छानबीन की गई।

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इतिहास के प्रो. रामेश्वर प्रसाद ने तिथि निर्धारण के लिए ब्रिटिश दस्तावेज को भी खंगाला और 14 फरबरी का समय निर्धारित किया। समस्या इसलिए हुई कि जिले के अस्तित्व की बात बिहार बंगाल विभाजन से भी पहले का है। 1770 से जिला अस्तित्व में है। यहां के

पहले डीएम डूकारेल थे। पूर्णिया की चर्चा आइने अकबरी में भी है। डुकारेल ने यहां की कमान संभालते ही सुधार के कई कार्य किए। मनमाने दंड को समाप्त किया और किसानों को परती जमीन जोतने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने न्याय, राजस्व व प्रशासनिक कई सुधार किए। पूर्णिया के इस इतिहास की अगर जानकारी मिलती है तो इसका श्रेय डुकारेल को भी जाता है।

पूर्णिया जिले पर शोधार्थी गो¨वद कुमार बताते हैं कि जिला उस समय 370 किमी के परिक्षेत्र में फैला था।

दर्जि¨लग न्यायिक परिक्षेत्र में आता था। हालांकि इतना पुराना जिला होने के बाद जिले के विकास के लिए काफी ¨चतित है।

उनका कहना है कि जिला का उस रुप में विकास नहीं हो पाया है जितना होना चाहिए। 2008 से लेकर हर वर्ष 14 फरवरी को जिला का स्थापना दिवस मनाया जाता है। फिलहाल जिलाधिकारी पंकज कुमार पाल के नेतृत्व में जिला अपने स्थापना गीत की ही तरह विकास की रफ्तार पर सरपट दौड़ रहा है।


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