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समय का प्रबंधन व शब्द सीमा का परीक्षार्थी रखें खास ख्याल

पूर्णिया। 10वीं और 12वीं की परीक्षा नजदीक है। सभी छात्र तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में उनके लिए उचित म

By Edited By: Published: Fri, 12 Feb 2016 07:56 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2016 07:56 PM (IST)
समय का प्रबंधन व शब्द सीमा का परीक्षार्थी रखें खास ख्याल

पूर्णिया। 10वीं और 12वीं की परीक्षा नजदीक है। सभी छात्र तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में उनके लिए उचित मार्गदर्शन किसी वरदान से कम नहीं है। खासकर समाज अध्ययन विषयों के लिए छात्र काफी उलझन में रहते हैं। एक परंपरा के मुताबिक गणित और विज्ञान विषय के लिए वे टूयशन भी लेते हैं साथ ही सालों भर पढ़ने का रिवाज भी है। छात्रों को अक्सर देखा गया है वे इन विषयों को लेकर उलझन में रहते हैं। ज्यादा तवज्जो नहीं देने के कारण इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र में नम्बर भी कम हासिल होते हैं। ब्रज बिहार स्मारक भट्टा बाजार के शिक्षक गोपाल नंदन दास का कहना है कि छात्रों को इन विषयों को नजरदांज नहीं करनी चाहिए। थोड़े से प्रयास से इन विषयों में भी अच्छे अंक हासिल किये जा सकते हैं। श्री दास के मुताबिक एसीईआरटी द्वारा मॉडल सेट पेपर पहले ही जारी किया गया है। उसका समयबद्ध अभ्यास विद्यार्थी के मनोबल बढ़ाने में काफी कारगर साबित होता है। छात्र बाजार में मिलने वाले टीका आदि के वस्तुनिष्ठ सवालों के उत्तर पाठय पुस्तक से मिला लें क्योंकि उनके उत्तर गलत भी हो सकते हैं। विद्यार्थी उत्तर लिखते वक्त शब्द सीमा का खास ख्याल रखें। भूगोल पेपर में उत्तर लिखते वक्त अगर छात्र मानचित्र के माध्यम से उत्तर देंगे तो उन्हे अधिक अंक प्राप्त होंगे। साथ ही पढ़ते वक्त भी मानचित्र के सहारे ही भूगोल विषय का अध्ययन करना चाहिए। इससे पढ़ी हुई सामग्री लम्बे समय तक याद रहती है। भूगोल में मानचित्र के हिस्से को अगर सही तरह से हल कर दिया गया तो गणित की तरह पूरे अंक मिल जाते हैं। श्री दास कहते हैं कि क्रमवार ही प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए। मैट्रिक के लिए विशेष कक्षाओं को भी आयोजित किया गया था। उससे भी छात्रों को फायदा होगा। प्रश्नों के उत्तर लिखने वक्त समसामयिक घटनाक्रम से जोड़ने से भी अच्छे अंक प्राप्त किये जा सकते हैं। प्रश्नों के उत्तर लेखन को ¨बदुवार लिखना चाहिए। कारण और प्रभाव को उत्तर लिखते वक्त दोनों अलग -अलग शीर्षक से लिखना चाहिए। साथ ही पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन काफी महत्वपूर्ण होता है। अब परीक्षा के लिए समय काफी कम है इसलिए विद्यार्थी को रात्रि जागरण से परहेज करना चाहिए। इससे सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पढ़ने के बाद मनन और ¨चतन पर थोड़ा वक्त देना आवश्यक है। गोपाल नंदन दास छात्रों से परीक्षा हॉल में संयमित रहकर और समय सीमा और शब्द सीमा का विशेष ख्याल रखने की सलाह देते हैं। एक सवालों के उत्तर देने में अधिक वक्त लगाना ठीक नहीं है। इससे दूसरे सवालों के जवाब के गुणवत्ता को काफी प्रभावित होती है।


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