बारिश के लिए रचायी जाती है मेंढ़की की शादी
पूर्णिया। सुखाड़ से त्रस्त जलालगढ़ चौहान टोला के कृषकों ने भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए मेढ़की
पूर्णिया। सुखाड़ से त्रस्त जलालगढ़ चौहान टोला के कृषकों ने भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए मेढ़की की विधिवत शादी कराई। बारिश नहीं होने पर इलाके में मेढ़की की शादी रचाने की परंपरा है। शादी में बारात भी निकलती है और गांव के पुरूष और महिलाएं शामिल होते हैं। पूरी रीति रिवाज से शादी होती है और शादी में भोज का भी आयोजन होता है। प्रचलित मान्यताओं के मुताबिक इंद्र भगवान इस शादी से प्रसन्न हो कर बारिश करते हैं। इस समारोह में गांव के सैंकड़ों महिला-पुरुष शामिल हुए। उसके बाद गाजे-बाजे के साथ बारात निकाली गई। बारात में शामिल महिलाओं द्वारा गाए गए लोकगीत से लोग झूम उठे। शादी पूरी रीति-रिवाज से कराई जा रही थी जिसके चलते बाजार के लोगों को यह भी पता नहीं चल सका कि यह शादी मेढ़कों की हो रही है। इस शादी में मेढ़क-मेंढ़की को पकड़कर एक सजाए हुए डाला में रखा जाता है। दूल्हे के डाला को युवक के सिर पर और दुल्हन के डाला को युवती के सिर पर रखकर बारात निकाली जाती है। दुल्हा-दुल्हन की बारात नगर भ्रमण करती है और किसी मंदिर के कुएं पर शादी की रस्में पूरी होती है। इसी परंपरा के तहत बारात मंदिर स्थित कुंए पर पहुंची और शादी की रस्म रात भर चली। शादी में शामिल लोगों ने बताया कि बारिश नहीं होने से धरती तप गई और
फसल जल रही है। किसान धान लगाने के लिए हाहाकार कर रहे हैं। लगी धान की फसल जल रही है। लोगों को विश्वास है कि इस शादी के बाद इंद्र महाराज जरूर मेहरबान होंगे और जमकर बारिश करेंगे।