बचाओ बचाओ कोई तो हमे बचालो ..
पूर्णिया। बचाओ बचाओ कोई तो हमें बचा लो। बाढ़ से हमलोग घिर चुके हैं कहीं आसपास उंचा रास्ता नहीं दीख र
पूर्णिया। बचाओ बचाओ कोई तो हमें बचा लो। बाढ़ से हमलोग घिर चुके हैं कहीं आसपास उंचा रास्ता नहीं दीख रहा है। बायसी के परमाण नदी में भारी उफान आ चुका है। इस नदी के किनारे बसा गांव पानीसदरा चहुं ओर पानी से घिर चुका है। आंगन में पानी घुसने के बाद घर में भी पानी घुस चुका है। लोग उंचे स्थान पर जाकर खुद को बचाने की कोशिश में है। बचाओ बचाओ हो हल्ला कर लोग सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने वाले के इन्तजार में है। इसी बीच एसडीआरएफ की टीम गांव के समीप नदी के एक ओर पहुंच जाती है। पहुचते ही टीम अपने बोट को तैयार करती है। लाईफ जैकेट, सैफटी रोप, बांस, लाईफ टयुब आदि सामान से लैस होकर प्रत्येक बोट पर तीन व्यक्ति लोगों को बचाने के लिए निकलते है। टीम प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले गर्भवती, बीमार, बच्चे, बूढ़े को बोट के क्षमता अनुसार लोगों को लादकर सुरिक्षत स्थान पर ले आता है। इस बीच तीन चार लोग जो बाढ़ में फंसे थे। एक जगह बैठकर शराब पी रहे थे। शराब के नशे में धुत तीन व्यक्ति नशे में धुत हो स्नान करने के लिए पानी में कूद गया। ये लोग अचानक पानी के तेज धारा के चपेट में आ गया। इस बीच डूबते को बचाने के लिए उनका दोनो साथ बचाओ बचाओ का शोर करने लगता है। आवाज सुनकर टीम बोट लेकर उसे बचाने के लिए तीव्र गति से उसकी ओर बढ़ा। वहां जाकर वह डूबते शराबी को ट्यूब फेंका। ट्यूब को पकड़ाकर उसे बोट की ओर लाता है। टीम उसे बोट के पास लाकर बोट पर लादकर सुरक्षित बचा लेता है। दरअसल शुक्रवार को आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से एसडीआरएफ की टीम माक ड्रील प्रदर्शन कर रही थी। परमान नदी में सैकड़ो लोगों के बीच यह प्रदर्शन किया। सब इन्सपेक्टर संजीत कुमार एवं टीम लीडर सब इन्सपेक्टर राम रतन प्रसाद के देख रेख में चालीस लोगों की टीम ने बाढ़ से बचाव कैसे करे इसकी जानकारी दी जा रही थी। इसमें गोताखोर को भी पानी में उतारा गया। डूबते लोगों को सुरक्षित बचाने के बाद उसके पेट से पानी कैसे निकाला जाए इसकी कई तरकीब प्रयोगिक तौर पर दिखाया गया। ठंढ़ा का बोतल, कई बोतल को बांधकर उसे तैरने का काम लिया जाता है। टयुब, थमोकोल, केला थम्ब आदि बेकार चीजों से बाढ़ में डूबने कैसे सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकते हैं यह तरकीब दिखाया गया।