गांव तो बचे लेकिन रहने के लिए नहीं है घर
कसबा (पूर्णिया), संस : तेज आंधी से कसबा प्रखंड एवं नगर पंचायत में बर्बादी का मंजर देखने को मिल रहा ह
कसबा (पूर्णिया), संस : तेज आंधी से कसबा प्रखंड एवं नगर पंचायत में बर्बादी का मंजर देखने को मिल रहा है। मंगलवार की रात्रि कसबावासियों के लिए अमंगल की रात साबित हो गई। इस तेज आंधी ने कई परिवारों को बेघर कर दिया। कसबा प्रखंड के सब्दलपुर पंचायत एवं मोहनी पंचायत आंधी के चपेट में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। सब्दलपुर पंचायत के सैंकड़ों एकड़ खेत में लगी एवं तैयार मकई एवं गेहूं फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। किसानों के सामने कोई रास्ता नहीं बचा है। मिर्जाबाड़ी, यवनपुर, सब्दुलपुर, मढोचा आदि गांव तो बच गए लेकिन रहने के लिए घर नहीं है। इस आंधी ने गरीब-मजदूरों के कच्चे छत को अपने साथ इतनी दूर ले गया जहां से लाने के लिए इन गरीबों के पास भाड़ा तक के पैसे नहीं हैं। कई परिवार घर से बेघर हो गए। छोटे-छोटे बच्चे को लेकर खुले आसमान के नीचे चिलचिलाती धूप में रहने को विवश हैं। कसबा-पूर्णिया सड़क मार्ग पर नंदनी पेट्रोल पंप के समीप आम बगान के सैंकड़ों फलदार पेड़ आंधी में इस तरह टूट कर जमीन पर गिरे पड़े हैं जैसे मानो किसी ने तेज धारदार हथियार से काटकर गिरा दिया दिया हो। सब्दलपुर गांव के किसान वासु कुमार, नाथू लाल साह, दिलीप प्रसाद साह, प्रदीप महलदार, सुंदर महलदार आदि ने बताया कि ब्याज पर रूपए ऋण लेकर गेहूं और मकई की खेती किए थे। वह भी इस आंधी ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। अब महाजन का ऋण कैसे भुगतान करेंगे। वहीं घर से बेघर परिवारों को सिर छुपाने के लिए आपदा विभाग द्वारा प्लास्टिक तक नसीब नहीं हो पाया है। सभी पीड़ित अपने उजड़े आशियाने को संवारने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं।