पूर्णिया में रद होगी 15 करोड़ की सरकारी जमीन की जमाबंदी
-अपर समाहर्ता न्यायालय ने जमाबंदी को रद करने का दिया आदेश -प्रमंडलीय आयुक्त ने दिया लाभुकों की बंद
-अपर समाहर्ता न्यायालय ने जमाबंदी को रद करने का दिया आदेश
-प्रमंडलीय आयुक्त ने दिया लाभुकों की बंदोबस्ती निरस्त करने का निर्देश
-ब्रोकरों ने बेच ली थी ढाई अरब की सरकारी जमीन
-लाइन बाजार स्थित खाता-77 की करीब 50 एकड़ सरकारी जमीन आदिवासियों के नाम की गई थी बंदोबस्ती
-कई रसूखदार लोगों सहित 100 लोगों को बेची गई है उक्त जमीन
--फिलहाल 77 खाता से 22 लोगों के नाम दर्ज जमाबंदी होगी रद
-उक्त जमीन पर बने हुए हैं डॉक्टरों के बड़े-बड़े क्लीनिक
कोट के लिए
बिहार सरकार की जमीन सुयोग्य लाभुकों के नाम बंदोबस्ती किए जाने का प्रावधान है। खाता-77 की सरकारी जमीन को भी कुछ अनुसूचित जन जाति के लाभुकों के नाम बंदोबस्ती की गई थी। बंदोबस्ती की जमीन अहस्तांतरित श्रेणी में आती है इसे किसी दूसरे के नाम बेचा नहीं जा सकता है। बावजूद गलत तरीके से उक्त जमीन की रजिस्ट्री कर गलत जमाबंदी कायम कर दी गई थी। फिलहाल 22 लोगों के मामले अपर समाहर्ता न्यायालय में पहुंचे हैं जिन्हें रद कर दिया गया है। साथ ही संबंधित लाभुकों की बंदोबस्ती को रद्द करने का निर्देश दे दिया गया है।
सुधीर कुमार, प्रमंडलीय आयुक्त, पूर्णिया।
मनोज कुमार, पूर्णिया
पूर्णिया में 15 करोड़ रूपये मूल्य की सरकारी जमीन की जमाबंदी रद की जाएगी। लाइनबाजार स्थित बंदोबस्त की गई खाता सं.-77 की करीब साढ़े पांच बीघा सरकारी जमीन को बेचे जाने के कारण जमाबंदी रद्द करने का आदेश अपर समाहर्ता न्यायालय ने दिया है। उक्त खाता की करीब 50 एकड़ सरकारी जमीन ब्रोकरों ने बेच डाली थी। हालांकि यह जमीन करीब 100 लोगों से अधिक के नाम रजिस्ट्री कर बजाप्ता जमाबंदी कायम कर दी गई है। इसमें से फिलहाल 22 लोगों की जमीन की जमाबंदी रद करने का निर्देश दिया गया है और जमीन के अभिलेख न्यायालय नहीं पहुंचे हैं। इधर, उक्त न्यायादेश के खिलाफ अपील में जाने की समय सीमा समाप्त होने के बाद कार्रवाई के लिए प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हो गई है। प्रमंडलीय आयुक्त सुधीर कुमार ने उक्त जमीन के लाभुकों की बंदोबस्ती निरस्त करने का निर्देश दिया है, जिसके बाद आगे और कार्रवाई की जाएगी।
माधोपाड़ा मौजा अंतर्गत खाता 77 के तहत 18 खेसरों में करीब 50 एकड़ जमीन दर्ज है। आर एस सर्वे में उक्त जमीन बिहार सरकार के नाम दर्ज है। सरकारी निर्देश के अनुसार उक्त जमीन को शनिचर उरांव, भदिया उरांव, मोन्चू उरांव, एतवारी उरांव आदि के बीच बंदोबस्ती कर दी गई। ज्ञात हो कि सरकारी प्रावधान के अनुसार उक्त जमीन अहस्तांरणीय होता है। किंतु भू माफियों ने उसे कर्मचारी, सीआई एवं सीओ की मिलीभगत से नामांतरित कर रैयतों के नाम जमाबंदी कायम कर दिया। फिर साजिश के तहत उक्त जमीन को बड़े-बड़े रसूखदार लोगों को खरबों में बेच दी गई। मामला जानकारी में आने के बाद तत्कालीन डीएम पंकज कुमार ने इसकी जांच का आदेश दिया। डीएम के आदेश पर पहले एसडीओ, डीसीएलआर एवं तत्कालीन अपर समाहर्ता शैलेश नंदन दिवाकर ने जांच की और अपना जांच प्रतिवेदन सौंपा। डीएम के निर्देश पर फिलहाल 22 लोगों का अभिलेख अपर समाहर्ता न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिसके बाद न्यायालय में यह वाद 38 से 49, 14-15 के तहत दर्ज हुआ और सुनवाई के बाद उक्त सभी जमाबंदी रद करने का आदेश जारी कर दिया।
यूं तो 77 खाता की कुल सरकारी जमीन का सरकारी दर लगभग 2 अरब 63 लाख होती है, लेकिन वर्तमान में उक्त जमीन का रेट 15 से 20 लाख प्रति कट्ठा है। यानि फिलहाल यह जमीन खरबों की है। ब्रोकरों ने उक्त जमीन को रसूखदार लोगों को बेच डाला। फिलहाल उक्त जमीन पर डॉक्टरों के बड़े-बड़े क्लीनिक बने हुए हैं। अपर समाहर्ता के उक्त आदेश से भू माफियों में खलबली मची हुई है। अपर समाहर्ता धनंजय ठाकुर ने कहा है कि शेष बची सरकारी जमीन का मामला भी उनके पास आता है तो वे उसकी भी सुनवाई करेंगे। इधर बंदोबस्तधारियों का दावा निरस्त करने की भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।