आपदा से करना है बचाव तो सुरक्षा को लेकर पहले से रहें तैयार
पूर्णिया, जासं.: कोसी-पूर्णिया का इलाका सूबे में सर्वाधिक आपदा प्रभावित क्षेत्र में शुमार है। भूकंप
पूर्णिया, जासं.: कोसी-पूर्णिया का इलाका सूबे में सर्वाधिक आपदा प्रभावित क्षेत्र में शुमार है। भूकंप को लेकर तो इसे हाई सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। लेकिन चक्रवाती तूफान, बाढ़, अगलगी और वज्रपात जैसी आपदाएं भी यहां की स्थायी समस्याएं हैं। अचानक आने वाली ये आपदाएं संपत्ति को तो भारी नुकसान पहुंचाते ही हैं जीवन की भी बली ले लेते हैं। पर हम सुरक्षा को लेकर पहले से सजग रहें तो जान-माल का कम से कम नुकसान हो सकता है।
इस संबंध में जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी रविंद्र कुमार बताते हैं कि आपदा के मद्देनजर लोगों को व्यवहारिक रूप से सोचने की जरूरत है। कल्पना करना चाहिए कि आपदा के समय उन्हें किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे दुर्घटना या आपदा की स्थिति में परिवार के सदस्य किस प्रकार आपसी संपर्क मे रहेंगे।
यह सुनिश्चित कर लें कि बिछुड़ने की स्थिति में सदस्य किस स्थल पर एकत्रित होंगे। आपात सेवाओं के दूरभाष नंबर का विवरणी रखें तथा आपात किट तैयार रखें। घर में एक आवश्यक उपस्करों से युक्त आपात किट हमेशा तैयार रखें। आपात किट में अतिरिक्त बैट्री के साथ संचालित रेडियो ताकि आधिकारिक घोषणाएं सुन सकें। इसके अलावा टार्च, कैंडिल, वाटर प्रूफ माचिस, जीवन रक्षक दवाएं, महत्वपूर्ण दस्तावेज व क्रेडिट कार्ड तथा नकद राशि आदि इसमें रखा जाना चाहिए।
वहीं बाढ़ के दौरान घर का विद्युत व गैस कनेक्शन काट दें। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित सड़क पर गाड़ी न चलाएं।
यदि भूकंप आ जाये तो बाहर की ओर न भागें। दरवाजे के बीच मजबूत टेबुल, बेंच अथवा चौकी के नीचे आश्रय लें, अपने सिर और गर्दन का बचाव करें। खुले मैदान में भाग सकते हैं। मकान के ओसरा या चौखट के नीचे आश्रय लें ताकि गिरते मलबे से बचाव हो सके। भूकंप के बाद घबराएं नहीं सीटी बजाकर या दिवाल खटखटाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करें।
अगलगी के दौरान शांतचित रहें, लोगों को मदद के लिए बुलाएं। गैस व विद्युत कनेक्शन विच्छेद करें, मकान से बाहर आ जायें। यदि आप धुंएं से भरी जगह पर हों तो सतह के समीप रहें जहां ताजी हवा की संभावना ज्यादा है।
यह क्षेत्र बड़े भूकंप की संभावना रखता है जिससे हर जगह हड़कंप मच जाता है। अच्छे-अच्छे मकान व संरचनाओं को यह नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए ऐसे क्षेत्र में भूकंपरोधी घर बनाये जाने की आवश्यकता है।