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हादसे बाद खुली आंख, पकड़ में आया सरकारी अनाज की कालाबाजारी का खेल

पूर्णिया, जागरण संवाददाता : एमवीआई हादसे बाद आखिरकार जिला प्रशासन की आंख खुली और उसने सोमवार की देर

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 09:24 PM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 09:24 PM (IST)
हादसे बाद खुली आंख, पकड़ में आया सरकारी अनाज की कालाबाजारी का खेल

पूर्णिया, जागरण संवाददाता : एमवीआई हादसे बाद आखिरकार जिला प्रशासन की आंख खुली और उसने सोमवार की देर शाम छापामारी कर एक बंद पड़े राइस मिल से 500 क्िवटल सरकारी अनाज बरामद कर लिया। इस बंद पड़े महेन्द्र जायसवाल मिनी राइस मिल में सरकारी अनाज का बोरा बदलकर कालाबाजारी का खेल काफी लंबे समय से चल रहा था। यहां लगभग चार सौ क्विंटल सरकारी अनाज बरामद किया गया। इसमें से लगभग चार सौ बोरा चावल का बोरा बदलकर सुपर फाइन अरवा चावल तैयार कर लिया गया था जबकि बड़ी मात्रा में सरकारी गेहूं के बोरे को बदलने का काम यहां किया जा रहा था। पुलिस ने इस राइस मिल से एक कार (बीआर11एच 3694) जब्त किया जो मिल संचालक महेन्द्र जायसवाल की थी। इस मिल के कार्यालय से पुलिस को इस अवैध कारोबार से जुड़े कई कागजात भी हाथ लगे हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में खाली बोरे एवं डबल हाथी मार्का सुपर फाइन चावल के खाली बोरे भी बड़ी संख्या में जब्त किये गये। छापामारी में जो कागजात बरामद हुए हैं उसमें मिल के संचालक का नाम महेन्द्र जायसवाल है जबकि इस राइस मिल में विद्युत कनेक्शन किसी अनीता देवी के नाम पर लगा हुआ है। जब्त कागजातों में इस कालाबाजारी के खेल में कौन-कौन शामिल हैं इसका पूरा ब्यौरा दर्ज है। किनके यहां से कितना सरकारी अनाज आया और इसके एवज में किस तिथि को कितनी राशि का भुगतान किया गया है इसका भी उल्लेख इस पंजी में है। इसके अलावा बोरा बदलने के बाद बेचे गये सरकारी अनाज की कहां कितनी राशि में बिक्री की गयी इसका भी उल्लेख है। छापामारी में इस मिनी राइस मिल में बाघमारा स्थित एक राइस मिल का बड़ी संख्या में टैग भी मिला है। बंद राइस मिल को अंदर से देखने के बाद कहीं से इसका अंदाजा नहीं लगता है कि यहां चावल तैयार करने का काम हो रहा है। बताया जाता है कि सरकारी अनाज की कालाबाजारी के इस खेल में आपूर्ति विभाग के कई बाबुओं के हाथ होने की बात भी सामने आ रही है। बताया जाता है कि सरकारी गोदाम से यहां सीधे अनाज आता था तथा बोरा बदलने के बाद इसे फिर बाजार में ले जाकर बेच दिया जाता था।


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