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जनवितरण प्रणाली : सस्ते का माल रास्ते में गुम

प्रशांत कुमार सोनू, पूर्णिया पूर्व (पूर्णिया) सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 09:09 PM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 09:09 PM (IST)
जनवितरण प्रणाली : सस्ते का माल रास्ते में गुम

प्रशांत कुमार सोनू, पूर्णिया पूर्व (पूर्णिया)

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सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश लागू होने के बावजूद पूर्णिया पूर्व प्रखंड में गरीबों को दी जाने वाली सस्ते दरों की अनाज से कई ऐसे गरीब हैं जो इन योजनाओं से वंचित है। गरीबों का अनाज कालाबाजारी से अछूता नहीं है। अनाज का उठाव तो होता है परंतु यह सस्ता होने के कारण जनवितरण की दुकान पहुंचने से पहले रास्ते से ही गुम हो जाता है और कालाबाजारियों के गोदाम पहुंच जाता है। यद्यपि इनसे जुड़े अधिकारी इन बातों को खारिज करते हुए कहते हैं कि जहा भी गड़बड़ी देखी जाती है तुरंत कार्रवाई की जाती है। यहा तक कि उनके लाइसेंस को भी रद्द कर दिया जाता है। यह बात है कि पहले से स्थिति में काफी सुधार हुई है परंतु आज की तारीख में भी सरकार द्वारा आवंटित गेहूं और चावल गरीबों के भूख को तो शात नहीं कर सकी बल्कि सेठ-साहूकारों के जेब गरम जरूर कर रहे हैं।

जांच के नाम पर लटक जाते हैं मामले

गरीब का अनाज गरीबों को मिले इसके लिए सरकार ने पंचायत स्तर पर निगरानी समिति का गठन कर रखा है परंतु सरजमीनी सच्चाई है कि ये समिति वास्तव में डीलरों के मनचाहे बन जाते हैं और मिल बाट कर खाने का हिसाब लगा लेते हैं। जब कभी भी लाभुक अति शोषण का शिकार हो जाते हैं तो वे अपनी आवाज को उपर के पदाधिकारी तक तो ले जाते हैं परंतु वहा भी उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है या फिर जाच के नाम पर मामले को लटका दिया जाता है। प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति की बैठक, अनुश्रवण समिति की बैठक, 20सूत्री बैठक में भी जनवितरण का मुद्दा ही छाया रहता है। इन बैठकों में कागजी रूप से व्यवस्था सुधारने की बात कि जाती है परंतु बाद में वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है।

कहते हैं लाभुक

प्रखंड अंतर्गत रामपुर पंचायत के लाभुक झलिया देवी ने बताया कि किसी माह में अनाज मिलता है किसी माह में नहीं। डीलर हड़ताल का बहाना बना देते हैं। उस पर नाप कम तथा घटिया अनाज देते हैं। वहीं रजिगंज पंचायत के बालानंद महलदार ने बताया कि एक ही बार लालकार्ड पर दो-तीन महीने का चावल गेहूं का दाम और वजन अंकित कर दिया जाता है। जिससे हमलोगों को पता ही नहीं चलता है कि किस महीने का अनाज मिला। वहीं बियारपुर पंचायत के लाभुक सोना देवी का कहना है कि सरकार के द्वारा घोषणा तो कर दिया जाता है कि गरीबों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराया जाता है परंतु जो गरीब है उसे यह सुविधा नहीं मिलकर अमीरों को यह सुविधा खुलेआम मिल रही है। वहीं चादी पंचायत के लाभुक सुशीला देवी का कहना है कि हमलोगों को तो अनाज तो दूर केरोसीन भी नहीं मिलता है और ना ही खाद्य सुरक्षा योजना का कार्ड ही मिला है। वहीं महाराजपुर पंचायत के मो. तस्लीम का कहना है कि हमलोगों को अनाज मिलता है परंतु नाप में कमी होती है।

जविप्र विक्रेताओं का है कहना

प्रखंड क्षेत्र के जनवितरण विक्रेता दयानंद यादव, रमेश कुमार पोद्दार, बरियर मराडी, पैक्स अध्यक्ष अचिंत मेहता बताते हैं कि खाद्यान्न उठाव के समय ही बोरी में अनाज कम रहता है। कभी-कभी उसकी अनाज की गुणवत्ता खराब रहने के कारण लाभुकों के गुस्सा का सामना करना पड़ता है। वे बताते हैं कि सरकार के द्वारा जो भी मापदंड दिया गया है, उनका शत-प्रतिशत पालन हमलोगों के द्वारा किया जाता है।

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''प्रखंड क्षेत्र के 14 पंचायतों में कुल 50 जनवितरण प्रणाली की दुकान है। जिसमें 45 जनवितरण तथा 05 पैक्स के माध्यम से संचालित है। जहा तक खाद्य सामग्री वितरण करने की बात है तो खाद्य सुरक्षा मद के लाभुक 22871 तथा अंत्योदय मद में 3206 लाभुक है। जिसे शत-प्रतिशत खाद्यान्न प्रत्येक माह उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने बताया कि जो भी गरीब परिवार कार्ड से वंचित है। उसे जल्द ही कार्ड उपलब्ध करा दिया जाएगा।''

ब्रजेश कुमार सिंह

प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी


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