क्या तेजाब से नहलाकर हत्या में शामिल थे शहाबुद्दीन? कोर्ट सुनाएगी फैसला
हत्या की यह भयावह व दर्दनाक कहानी है। सिवान के लोग इसे 'तेजाब कांड' के नाम से जानते हैं। आरोप है कि शहर के दो युवकों को मो. शहाबुद्दीन के आदेश पर तेजाब से नहलाते हुए तड़पा-तड़पाकर मार डाला गया था। अब नौ दिसंबर को अदालत अपना फैसला सुनाएगी।
पटना। हत्या की यह भयावह व दर्दनाक कहानी है। सिवान के लोग इसे 'तेजाब कांड' के नाम से जानते हैं। आरोप है कि शहर के दो युवकों को मो. शहाबुद्दीन के आदेश पर तेजाब से नहलाते हुए तड़पा-तड़पाकर मार डाला गया था। अनेक उतार-चढ़ाव के बाद इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली गई है। अब नौ दिसंबर को अदालत अपना फैसला सुनाएगी।
सिवान के व्यवसायी चंदा बाबू के दो पुत्रों के 11 वर्ष पूर्व हुए अपहरण एवं हत्या से जुड़े तेजाब कांड में अदालत अपना फैसला नौ दिसंबर को सुनाएगी। मामले में पक्ष और प्रतिपक्ष ने अपनी-अपनी बहस समाप्त कर ली है।
अभियोजन के बहस के समाप्त होने के पश्चात बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था का हवाला देते हुए अभियुक्त पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को दोषमुक्त करने का निवेदन किया है। अदालत ने फैसला की तिथि निर्धारित कर दी है।
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2004 में नगर व्यवसायी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो पुत्रों का अपहरण शहर के दो भिन्न दुकानों से कर लिया गया। इस मामले में अज्ञात के विरुद्ध अपहरण की एफआइआर दर्ज कराई गई थी। उस समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में बंद थे।
अभियोजन के अनुसार, अपहृत युवकों के बड़े भाई राजीव रौशन ने चश्मदीद गवाह की हैसियत से बयान दिया कि छोटे भाईयों के साथ उसका भी अपहरण हुआ था तथा शहाबुद्दीन के कहने पर दोनों भाईयों की हत्या के पश्चात वह किसी तरह वहां से भाग निकला था। चश्मदीद के बयान के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के विरुद्ध हत्या एवं षड्यंत्र को लेकर आरोप गठित किए गए और मामले का पुन: विचारण शुरू हुआ।
मामले में विचारण के दौरान वर्ष 2014 में चश्मदीद गवाह राजीव रौशन की भी हत्या हो गई। दोनों पक्षों की ओर से गवाही एवं बहस विधानसभा चुनाव के पूर्व समाप्त हो चुका था। केवल अभियोजन को कानूनी बिन्दुओं पर अपना पक्ष रखना था। अब शुक्रवार को मामले की सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अदालत का फैसला आना शेष है।
घटनाक्रम पर एक नजर
- 16 अगस्त 2004 की सुबह में सिवान के गौशाला रोड स्थित व्यवसायी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की मुख्य सड़क पर अर्धनिर्मित मकान पर भूमि विवाद के निपटारे को लेकर पंचायती हो रही थी। इसी बीच बाहर से आए कुछ लोगों ने व्यवसायी को मारने-पीटने की धमकी दी। विवाद बढ़ा तो मारपीट हो गई।
- व्यवसायी के परिजन घर में भागे। उन्होंने घर में रखे तेजाब को आक्रमणकारियों पर फेंक दिया। घटना में बाहर से आए कुछ अवांछित तत्व गंभीर रूप से जख्मी हो गए।
- आरोप है कि प्रतिक्रिया स्वरूप उसी दिन शहर के दो भिन्न गल्ला दुकानों से चंदा बाबू के दो पुत्रों गिरीश व सतीश का अपहरण कर लिया गया। अपहृतों की मां के बयान पर अज्ञात के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज कराया गया।
- मामले के विचारण के दौरान वर्ष 2010-11 में अपहृतों का बड़ा भाई राजीव रौशन बतौर चश्मदीद गवाह मंडल कारा में गठित विशेष अदालत में गवाही के लिए उपस्थित हुआ। गवाही देते हुए उसने खुलासा किया कि वर्ष 2004 में चंदाबाबू के दो नहीं, बल्कि तीन पुत्रों का अपहरण हुआ था, जिसमें तीसरा वह स्वयं था।
- अभियोजन के अनुसार राजीव रौशन ने कहा कि उसकी आंखों के सामने उसके दोनों भाईयों की हत्या शहाबुद्दीन के आदेश पर प्रतापपुर गांव में कर दी गई थी। वह किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा था और गोरखपुर में गुजर-बसर कर रहा था।
- चश्मदीद राजीव रौशन के बयान पर तत्कालीन विशेष लोक अभियोजक सोमेश्वर दयाल ने हत्या एवं षड्यंत्र को ले नवीन आरोप गठन करने का विशेष अदालत से निवेदन किया। विशेष अदालत ने न्याय प्रक्रिया में उठाए गए कदमों को विलंबित करार देते हुए खारिज कर दिया। तत्पश्चात उच्च न्यायालय के आदेश पर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के विरुद्ध हत्या और षड्यंत्र को ले भादवि की धारा 302 एवं 120 बी के तहत आरोप गठित किए गए।
- मामले में पुन: साक्ष्य प्रारंभ हुआ और साक्ष्य के दौरान 16 जून 2014 को चश्मदीद राजीव रौशन की भी हत्या कर दी गई।
- मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि अपहरण व हत्या के समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में थे। जेल प्रशासन उनके बाहर निकलने से इंकार करता रहा है, जबकि मारे गए चश्मदीद गवाह के अनुसार शहाबुद्दीन घटना के दिन जेल से बाहर निकले थे। अब सच-झूठ का फैसला अदालत को करना है।