आम हड़ताल : थम गया बिहार, पांच हजार करोड़ पर ताला
दस केंद्रीय यूनियनों, औद्योगिक एवं सेवा संगठनों के संयुक्त आह्वान पर केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में बुधवार को हुई आम हड़ताल का असर दिखाई दिया। राजधानी में अधिकांश सरकारी कार्यालय नहीं खुले। प्रदेश में 10 लाख श्रमिक इसमें शामिल हुए।
पटना। दस केंद्रीय यूनियनों, औद्योगिक एवं सेवा संगठनों के संयुक्त आह्वान पर केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में बुधवार को हुई आम हड़ताल का असर दिखाई दिया। राजधानी में अधिकांश सरकारी कार्यालय नहीं खुले। प्रदेश में 10 लाख श्रमिक इसमें शामिल हुए। अनुमान है कि हड़ताल की वजह से पांच हजार करोड़ रुपये का लेनदेन बाधित हुआ।
सरकार विरोधी नारों से गूंजता रहा शहर
बैंक, बीमा, बीएसएनएल, डाक विभाग, एजी ऑफिस सहित अन्य सरकारी कार्यालयों कामकाज ठप रहा। हड़ताली कर्मचारी अधिकारियों को भी कार्यालय में नहीं घुसने दिए। सरकार विरोधी नारों से दिन भर शहर गूंजता रहा।
निजी बैंकों को जबरन बंद कराया
पीएसयू बैंकों में पूर्णत: तालाबंदी रही। एसबीआइ हड़ताल में शामिल नहीं था इसलिए उसकी शाखाएं खुली रहीं। निजी बैंकों को हड़तालियों ने जबरन बंद करा दिया। हालांकि, उनकी पहुंच मुख्य मार्गो तक ही रही। गली-मोहल्ले में निजी बैंकों की शाखाएं खुली रहीं। इक्जीबिशन रोड में बंदी का व्यापक असर दिखाई दिया।
कोटक महिन्द्रा, एक्सिस, एचएसबीसी, कर्नाटक बैंक, येस बैंक, आइसीआइसी बैंक, एचडीएफसी बैंक की शाखाएं व एटीएम बंद रहे। हालांकि, पटना जंक्शन, अस्पतालों सहित मुख्य मार्गों पर सभी बैंकों के 40 फीसद तक एटीएम खुले रहे। इससे लोगों को राहत मिली।
प्रदेश में 6403 शाखाएं एवं 5927 एटीएम बंद रहे। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के वरीय उपाध्यक्ष डॉ. कुमार अरविन्द, बैंक कर्मचारी नेता संजय तिवारी, बैंक एंपलाईज फेडरेशन के महासचिव जेपी दीक्षित ने कहा कि वर्तमान सरकार की नीतियां बैंक विरोधी हैं। उन्होंने काम के घंटे निर्धारित करने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में निजी क्षेत्र से चेयरमैन व एमडी लाने पर रोक, पेंशन की विसंगतियों को दूर करने की मांग की।
बीमा क्षेत्र में व्यापक असर
इंश्योरेंस इम्पलाईज एसोसिएशन पटना डिविजन के श्रीकांत मिश्र, महेन्द्र प्रसाद, ओम प्रकाश ने कहा कि क्षेत्रीय कार्यालय, दोनों मंडल कार्यालय, सहित बिहार की 125 एलआइसी की शाखाएं बंद रहीं। फ्रेजर रोड स्थित मंडल कार्यालय पर नारेबाजी के बीच बीमा क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाने पर रोक, श्रमिकों को पेंशन देने, न्यूनतम वेतन 15 हजार करने की मांग हुई। केंद्रीय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सीडी सिंह ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी, छंटनी, निजीकरण, ठेकाप्रथा के विरोध में हमारी यह हड़ताल सफल रही।
पांच हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित
को-ऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ ट्रेड यूनियन एंड एसोसिएशन के सह संयोजक बी. प्रसाद ने कहा कि बिहार छह लाख संगठित एवं चार लाख असंगठित क्षेत्र के श्रमिक इस हड़ताल में शामिल हुए हैं।
इससे पांच हजार करोड़ रुपये का लेनदेन बाधित हुआ है। फतुहा, नेउरा में रेल सेवाएं भी बाधित हुई। हवाई सेवाओं पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि पटना सहित सूबे में हड़ताल सफल है। जिला, अनुमंडल और प्रखंड स्तर के सभी सरकारी कार्यालय बंद है। पटना में सचिवालय में भी उपस्थिति कम है।
दो जगहों पर हुआ टकराव
रिजर्व बैंक कार्यालय में जब बी. प्रसाद के नेतृत्व में हड़तालियों का जत्था पहुंचा तो सिक्युरिटी ऑफिसर ने विरोध किया। भाषण के दौरान बिजली काट दी गई। बी. प्रसाद ने कहा कि यह लोकतंत्र पर हमला है।
हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे इसके बावजूद प्रबंधन की ओर से हमें रोका गया। रिजर्व बैंक के गवर्नर को हम सिक्युरिटी ऑफिसर के खिलाफ ज्ञापन देंगे। इसी तरह से पंजाब नैशनल बैंक के आर ब्लॉक स्थित क्षेत्रीय कार्यालय पर पुलिस और हड़तालियों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। पुलिस परिसर के अंदर हड़तालियों को धकेल रही थी तो हड़ताली सड़क पर ही डटे रहना चाहते थे। बीचबचाव बाद में मामला शांत हुआ।
बस और टैम्पो का परिचालन भी कम हुआ
पटना में बसों और टेंपो का परिचालन भी कम हुआ। इससे आमलोगों को भारी परेशानी हुई। जगह-जगह सड़क किनारे लोग बस और टैम्पो का इंतजार करते रहे। रिक्शावालों ने रेट बढ़ाकर मनमानी किराया वसूला। इसी तरह से मीठापुर अंतरराज्यीय बस अड्डे पर भी लोग बेहाल नजर आए। हालांकि, दोपहर बाद स्थिति में कुछ सुधार हुआ।
जिंस मंडियों में पसरा रहा सन्नाटा
पटना की जिंस मंडियों में ग्राहकों की उपस्थिति बेहद कमजोर रही। मंडी तो खुली रही, लेकिन सन्नाटा दूर न हो सका। किराना मंडी मारूफगंज, खाद्य तेल मंडी मारूफगंज व गुलजारबाग के साथ अनाज मंडी मंसूरगंज व महाराजगंज, सौंदर्य प्रसाधन व मनिहारी मंडी मच्छरहट्टा का कारोबार बेपटरी हो गया। अनुमान है कि लगभग 35 लाख रुपये का कारोबार हड़ताल की वजह से नहीं हो सका।