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भागलपुर दंगा पीडि़तों की संपत्ति पर कब्जा जमाने वाले चिह्नित

न्यायमूर्ति एनएन सिंह की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग ने भागलपुर सांप्रदायिक दंगा की जांच में सवा सौ से भी अधिक छोटे-बड़े पुलिस अधिकारियों के साथ कुछ ऐसे लोगों को भी चिह्नित किया है, जिन्होंने दंगा पीडि़तों की संपत्ति को कौडिय़ों के भाव बिकवाने में अपनी भूमिका निभाई।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 08:05 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 08:21 AM (IST)
भागलपुर दंगा पीडि़तों की संपत्ति पर कब्जा जमाने वाले चिह्नित

पटना [राजीव रंजन]। न्यायमूर्ति एनएन सिंह की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग ने भागलपुर सांप्रदायिक दंगा की जांच में सवा सौ से भी अधिक छोटे-बड़े पुलिस अधिकारियों के साथ कुछ ऐसे लोगों को भी चिह्नित किया है, जिन्होंने दंगा पीडि़तों की संपत्ति को कौडिय़ों के भाव बिकवाने में अपनी भूमिका निभाई थी।

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अब सरकार के समक्ष चुनौती यह है कि जिन दंगा पीडि़तों की संपत्ति उसके वास्तविक मूल्य से काफी कम कीमत पर भय और आतंक के बिनाह पर खरीद ली गई थी, वह संपत्ति दंगा पीडि़तों को फिर से वापस हो।

सूत्र बताते हैं कि दंगा पीडि़तों की संपत्ति हथियाने वाले अधिकतर रसूखदार लोग हैं। ऐसे में उनसे संपत्ति वापस लेना एक बड़ी चुनौती होगी, जबकि बिहार में संपत्ति की रजिस्ट्री हो जाने के बाद उसे रद करने का कोई प्रावधान नहीं है। सूत्र बताते हैं कि सरकार बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र में ही एक विधेयक लाने जा रही है, जिसमें इस तरह की संपत्ति की रजिस्ट्री को रद करने का प्रावधान होगा।

भागलपुर सांप्रदायिक दंगे की जांच के लिए वर्ष 2006 के फरवरी माह में गठित न्यायिक जांच आयोग को राज्य सरकार ने मुख्य रूप से छह बिंदुओं पर जांच केंद्रित रखने को कहा था। इसमें सबसे पहले उन पुलिस अधिकारियों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी आयोग को दी गई थी, जिन्होंने दंगा से पहले और दंगे के बाद अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया।

सरकार ने आयोग को उन कारणों और परिस्थितियों का पता लगाने की जिम्मेदारी दी थी, जिसके तहत अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों द्वारा अज्ञात कारणों से अपर्याप्त प्रमाण एकत्रित किए गए एवं सूत्रहीन तथ्यों के दोषपूर्ण प्रस्तुतीकरण कर अंतिम प्रतिवेदन दाखिल कर दिए गए। आयोग ने अपनी जांच में ऐसे पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ आरोप गठित कर दिए हैं।

आयोग ने अपनी जांच में पाया कि दंगे के दौरान और दंगे के बाद बड़े पैमाने पर दंगा पीडि़तों की संपत्ति की खरीद-बिक्री कौडिय़ों के भाव में की गई। आयोग ने ऐसी संपत्ति पर दंगा पीडि़तों को फिर से कब्जा दिलाने से संबंधित कई सुझाव दिए हैं।

साथ ही ऐसे दर्जनों लोगों को चिन्हित किया है जिन्होंने दंगा पीडि़तों की संपत्ति या तो खुद खरीद ली थी या उसे किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर करवा दिया था। न्यायिक जांच आयोग ने आज से करीब 25 साल पूर्व हुए भागलपुर दंगा के पीडि़तों को पुनर्वासित करने के कई उपाय सुझाए हैं।


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