आभूषण खरीदारों के साथ विक्रेताओंको भी परेशान करेगा टीसीएस
एक अप्रैल से नकद में दो लाख रुपये से अधिक के आभूषण लेने पर एक फीसद एक फीसद टीसीएस भी देना होगा।
पटना : एक अप्रैल से नकद में दो लाख रुपये से अधिक के आभूषण लेने पर एक फीसद एक फीसद टीसीएस भी देना होगा। फिलहाल इसकी सीमा पांच लाख रुपये है। जानकारों की राय में इस नई व्यवस्था से आभूषण खरीदारों के साथ ही विक्रेताओं की भी परेशानी बढ़ने वाली है।
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पहले से एक फीसद वैट का प्रावधान
आभूषणों की खरीदारी पर फिलहाल एक फीसद वैट लगता है। अगर कोई दो लाख से अधिक नकदी में आभूषण खरीदेगा तो एक अप्रैल से उसे एक फीसद वैट के साथ एक फीसद स्रोत एकत्रित टैक्स यानी टीसीएस भी देना होगा। दरअसल, आयकर कानून में दो लाख से अधिक की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर एक प्रतिशत का टीसीएस लगाने का प्रावधान है। वस्तुओं की परिभाषा में आभूषण भी आते हैं।
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बाजार पर होगा असर
पटना के ज्वैलरों का कहना है कि इस नये टैक्स से बहुत असर तो नहीं होगा, लेकिन करीब 10 फीसद बाजार दायरा घट सकता है। टैक्स देने से लोग बचना चाहते हैं। लगन के खरीदार सामान्यत: तीन लाख रुपये से पांच लाख रुपये की खरीदारी करते हैं। पांच लाख रुपये से अधिक पर ही टीसीएस का प्रावधान होना चाहिए। अगर यह संभव न हो तो सरकार कम से कम इसकी सीमा तीन लाख रुपये रखे।
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विक्रेताओं की बढ़ेगी परेशानी
पाटलिुपत्र सराफा संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार का कहना है कि ज्वैलर्स को संबंधित विभाग को लेखाजोखा भी देना पड़ता है। अभी वैट का हम कलेक्शन करते हैं, अब टीसीएस का भी हिसाब रखना होगा। सरकार को ब्योरा देना होगा। सवाल करते हैं- हमें क्या मिलेगा। हम तो कलेक्शन एजेंट बन कर रह गए हैं। इससे भी परेशानी नहीं है, लेकिन कहीं तो राहत मिले। ..................
बहुत कड़े हैं प्रावधान
पिछले बजट में यह टैक्स लगाया गया था। वित्त विधेयक 2017 में टीसीएस के लिए कैश में गहनों की पांच लाख से अधिक की खरीद सीमा को खत्म करने का प्रस्ताव है। वजह यह है कि 2017-18 के बजट में तीन लाख रुपये से अधिक के नकदी सौदों पर पाबंदी लगा दी गई है। इसका उल्लंघन करने पर नकदी लेने वाले व्यक्ति पर उतनी ही राशि का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। यानी अगर आप पांच लाख रुपये की ज्वेलरी कैश देकर खरीदते हैं, तो ज्वैलर को सीमा से अधिक की दो लाख रुपये की राशि के बराबर पेनाल्टी चुकानी होगी।
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