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MLA अशोक सिंह ने हत्‍या के ठीक पहले DGP से मांगी थी सुरक्षा, जानिए

एमएलए अशोक सिंह हत्‍याकांड में बाहुबली पूर्व सांसद प्रभनाथ सिंह को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी है। अशोक सिंह अपनी सुरक्षा के लिए हत्‍या के कुछ घंटे पहले ही डीजीपी से मिले थे।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 10:51 AM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 11:22 PM (IST)
MLA अशोक सिंह ने हत्‍या के ठीक पहले DGP से मांगी थी सुरक्षा, जानिए
MLA अशोक सिंह ने हत्‍या के ठीक पहले DGP से मांगी थी सुरक्षा, जानिए

सारण [जेएनएन]। बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद व राजद नेता प्रभुनाथ सिंह को मंगलवार को हजारीबाग की अदालत विधायक अशोक सिंह हत्‍याकांड में उम्रकैद की सजा सुना दी है। अशोक सिंह को पहले से यह आशंका हो गई थी कि उनकी हत्‍या की जा सकती है। हत्‍या के करीब तीन घंटे पहले ही वे सुरक्षा की मांग को लेकर तत्‍कालीन डीजीपी एसके सक्‍सेना से मिलने गए थे। लेकिन, सुरक्षा मिलने के पहले हत्‍या हो गई।

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हत्याकांड के चश्मदीद गवाह व पूर्व विधायक के पीए राघवेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हत्‍या का वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूम जाता है।

घटना 3 जुलाई, 1995 की शाम की है। विधायक के आवास पर शाम सवा सात बजे विधायक, उनकी पत्नी चांदनी देवी, ठेकेदार कामेश्वर सिंह, सुनील सिंह साथ बैठे थे। शाम को कुछ लोग मिलने भी आए। इसी बीच कुछ युवक वहां आए और मौका देख विधायक पर बम फेंक दिया।

राघवेंद्र सिंह के अनुसार घटना में अशोक सिंह व पूर्व बीडीओ महेश बाबू के पुत्र अनिल सिंह की मौत हो गई। विधायक से मिलने आए प्रदीप सिंह, ठेकेदार कामेश्वर सिंह, सरकारी अंगरक्षक प्रहलाद पासवान आदि भी घायल हुए। घटना के बाद सभी अपराधी फरार हो गए।
राघवेंद्र ने बताया कि तीन जुलाई को ही विधायक की सुरक्षा को लेकर डीजीपी ने आदेश भी पारित किया था। कागज लेकर विधायक आवास पर लौटे थे और बातचीत कर ही रहे थे कि बमबाजी शुरू हो गई।
1997 में हजारीबाग कोर्ट में केस का स्‍थानांतरण

अशोक सिंह की हत्या का मुकदमा पटना कोर्ट में चल रहा था। लेकिन पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के सभी मामलों की सुनवाई के लिए मृतक की पत्नी चांदनी सिंह ने हजारीबाग कोर्ट में केस को स्थानांतरित करने का आवेदन दिया। इसके बाद पूर्व सांसद को छपरा जेल से हजारीबाग स्थानांतरित कर दिया गया। उस वक्त झारखंड और बिहार एक था, इसलिए पटना उच्च न्यायालय ने केस स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
आज भी पूरा दृश्य घूमता है आंखों में
राघवेंद्र घटना के चश्मदीद गवाह हैं। उन्‍होंने बताया कि आज भी पूरा घटनाक्रम आंख के सामने घूम जाता है। ''वह काली शाम हम कभी भूल नहीं सकते। घर के सभी सदस्य बातें कर रहे थे। मैं भी मौजूद था। क्षेत्र के लोग अपनी समस्या लेकर पास पहुंचे थे। उसी बीच मानोपाली के पूर्व मुखिया रितेश सिंह कुछ युवकों के साथ आए। युवकों ने मौका देख बम विधायक पर फेंका जिससे उनकी मौत हो गई।''

राघवेंद्र ने बताया, ''बदमाशों ने जब बम मारा तो जोर का धमका हुआ। आवाज सुनकर इलाके में पेट्रोलिंग कर रही पुलिस तत्काल आवास पर पहुंच गई। विधायक व अनिल सिंह लहूलुहान थे। दोनों को पीएससीएच ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया।''


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