'बालिका वधू' बनने से बची सात साल की बच्ची
राजधानी के सचिवालय इलाके में सात साल की बच्ची बालिका वधू बनने से बच गई।
पटना। राजधानी के सचिवालय इलाके में सात साल की बच्ची बालिका वधू बनने से बच गई। पड़ोस की एक युवती की शिकायत पर सचिवालय थानेदार महिला पुलिसकर्मियों की टीम के साथ पहुंचे और हल्दी की रस्म पूरी कर रहे परिजनों को लेकर थाना पहुंचे। पुलिस का अमला देख पिता फरार हो गया। फेरे मंगलवार को पूर्णिया में होने थे। पुलिस को देखते ही मासूम सिसकने लगी और शादी करने से इन्कार करते हुए बोली कि उसे पढऩा है, शादी नहीं करनी है। देर रात तक इलाकाई लोग थाने में जुटे थे। पुलिस का कहना है कि बच्ची की शादी का मकसद क्या था? इसका पता उसके पिता के आने के बाद ही चलेगा। बच्ची का सौदा किया गया था या किसी दूसरे कारण से यह विवाह हो रहा था, इस बात की छानबीन की जा रही है।
मूलरूप से मुंगेर के शीतलपुर का रहने वाला दिनेश यादव राजमिस्त्री का काम करता है और एक साल से झोपड़ी बना आर ब्लॉक के पास रोड नं. 8 में रहता है। थानेदार अमरेन्द्र कुमार झा ने बताया कि दिनेश के दस बच्चे हैं, जिसमें छह बेटी और चार बेटे हैं। हालांकि आसपास के लोग बताते हैं कि उसके तीन बच्चे हैं, जिसमें दो लड़की और एक लड़का है। पड़ोस की एक युवती ने थाना पुलिस को रात लगभग आठ बजे सूचना दी कि सात साल की बच्ची का विवाह रचाया जा रहा है। जिसके बाद पुलिसिया कार्रवाई की गई।
एक घंटे बाद निकल जाते पूर्णिया :
घर में जुटे नाते-रिश्तेदारों से पता चला कि मेहंदी की रस्म पूरी होने के बाद वे लोग पूर्णिया जाने वाले थे। विवाह वहीं होना था।
30 साल के युवक से होनी थी शादी:
दिनेश ने अपनी बेटी का विवाह 30 साल के युवक से तय किया था। युवक क्या करता है और कैसे संपर्क में आया? इस बात का पता नहीं चला है।
जबरन करा रहा था शादी :
थाने में बच्ची ने बताया कि उसकी जबरन शादी कराई जा रही थी। उसकी नानी मुंगेर के हवेली खडग़पुर में रहती हैं। उसे चार-पांच दिन पहले ही पिता यहां लेकर आए थे। जब शादी की बात पता चली तो उसने मना कर दिया, लेकिन पापा जबरिया शादी करने पर अड़े थे।
बाजार में मिलवाया था लड़के से:
परिजन बताते हैं कि दिनेश बेटी को लेकर बाजार गया था, जहां एक युवक से परिचय कराते हुए कहा था कि इसी से शादी करनी है।