आज दिन के एक बजे हो जाएगा फैसला, शहाबुद्दीन को बेल, या जेल
शहाबुद्दीन मामले में सुप्रीम कोर्ट तमाम दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। आज अपराह्न एक बजे कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। शहाबुद्दीन ने कहा कि मेरी जमानत रद न की जाए।
पटना [वेब डेस्क]। राजद के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत (बेल) मामले में आज सुप्रीम कोर्ट अपराह्न एक बजे अपना फैसला सुनाएगा। कोर्ट में कल केस की सुनवाई पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
कोर्ट की सुनवाई पूरी होने के बाद शहाबु्द्दीन ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि मेरी जमानत रद ना करें। मैं बिहार से बाहर जाने के लिए भी तैयार हूं। मैं कहीं भी रह लूंगा।
मामले की सुनवाई गुरुवार की सुबह 10.30 बजे से शुरु हुई। अदालत में करीब दो घंटे चली दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब शहाबुद्दीन की जमानत का फैसला कल सुनाने की बात कही है। शहाबुद्दीन की तरफ से उनके वकील शेखर नाफरे ने सुप्रीम कोर्ट में शहाबुद्दीन का पक्ष रखा। इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने तीन याचिकाओं पर दलीलें सुनीं फिर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रखने के आदेश दिए थे।
शहाबुद्दीन के वकील ने रखा अपना पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में शहाबुद्दीन की ओर से केस लड़ रहे वकील शेखर नाफ्रे ने शहाबु्द्दीन का पक्ष रखते हुए कहा कि चार्जशीट में शहाबुद्दीन को आरोपी नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि शहाबुद्दीन की चार्जशीट और पूरक चार्जशीट कोर्ट में भी कमी पाई गई है। उनकी चार्जशीट कोर्ट को क्यों नहीं सौंपी गई। उन्हें बिना कानूनी वजहों के ही सिवान जेल से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया। इन सब बिंदुओं पर कोर्ट के समक्ष उन्होंने अपने मुवक्किल का पक्ष रखा।
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बुधवार को अधूरी रह गई थी सुनवाई
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई अधूरी रही। इससे पूर्व तेजाब गवाह हत्याकांड में ट्रायल में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। आज सभी दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। कोर्ट के फैसले पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
तीन मामलों में चल रही है सुनवाई
बता दें कि मुहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ सिवान के चर्चित एसिड बाथ डबल मर्डर तथा इस मामले के गवाह हत्याकांड में मिली जमानत के खिलाफ तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। शहाबुद्दीन के आग्रह पर कोर्ट ने उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए बुधवार तक का समय दिया था।
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सुरक्षा को लेकर सिवान में अलर्ट जारी
शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ तीन मुकदमों को ध्यान में रखते हुए राज्य प्रशासन ने सिवान और आसपास के जिलों की पुलिस को अलर्ट किया है। शहाबुद्दीन जमानत के बाद सिवान में ही हैं। उधर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ट्रायल में देरी पर राज्य सरकार को फटकार लगाने पर इस मामले के याचिकाकर्ता चंदा बाबू ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है।
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कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा सवाल, ट्रायल पर रोक क्यों लगाई?
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल किया कि शहाबुद्दीन के ट्रायल पर रोक क्यों है? इसपर बिहार सरकार ने जवाब दिया कि शहाबुद्दीन को सिवान से भागलपुर जेल ट्रांसफर किये जाने के कारण ट्रायल नहीं हो पा रहा था। राज्य सरकार की इस दलील पर जमानत का विरोध कर रहे चंदा बाबू के वकील प्रशांत भूषण ने असहमति जताई।
उन्होंने कहा कि पप्पू यादव की तरह शहाबुद्दीन का भी ट्रायल टेलीफोन कांफ्रेंसिंग से कराई जा सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल में देरी के लिए सरकार को जमकर फटकार लगाई।
जवाब देने के लिए टली थी सुनवाई
इसके पहले एसिड बाथ डबल मर्डर के गवाह हत्याकांड मेे मिली जमानत रद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल चंदा बाबू व बिहार सरकार की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सोमवार को शहाबुद्दीन से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्यों न आपकी जमानत रद कर दी जाए?
शहाबुद्दीन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि उन्हें मुकदमे के सभी कागजात शनिवार तक मिले, इसलिए उन्हें विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए। इसपर कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 28 सितंबर निर्धारित कर दी।
चंदा बाबू कलावती देवी ने दी थी याचिका
इस बीच एसिड बाथ डबल मर्डर मामले में उम्रकैद की सजा निलंबित करने तथा जमानत देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ भी चंदा बाबू की पत्नी कलावती देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की ह
सरकार ने दिया ये जवाब
आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिहार सरकार से शहाबुद्दीन के ट्रायल पर रोक की बाबत पूछा तो सरकार ने जवाब दिया कि ऐसा शहाबुद्दीन को सिवान से भागलपुर जेल ट्रांसफर किये जाने के कारण हुआ है। लेकिन, राज्य सरकार की इस दलील को जमानत का विरोध कर रहे चंदा बाबू के वकील प्रशांत भूषण ने खारिज किया।
प्रशांत भूषण की दलीलें
चंदा बाबू की तरफ से पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि शहाबुद्दीन को दो मामलों में सजा हो चुकी है। वह आदतन अपराधी है, जिसे बाहर नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि शहाबुद्दीन काे सिवान से भागलपुर जेल ट्रांसफर कराने के बावजूद ट्रायल को नहीं रोकना चाहिए था। बिहार के ही सांसद पप्पू यादव की तरह शहाबुद्दीन की भी सुनवाई टंली कांफ्रेंसिंग से हो सकती थीे।
7 सितंबर को मिली थी जमानत
चंदा बाबू के तीन पुत्रों की हत्या के आरोपी मो. शहाबुद्दीन को पटना हाइकोर्ट ने विगत 7 सितम्बर को जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पिनाकी चन्द्र घोष एवं न्यायाधीश अमिताभ राय की खंडपीठ ज़मानत दिए जाने के मामले पर सुनवाई कर रही है।
राज्य सरकार की ओर से नया वकील
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी बहस में भाग ले रहे हैं। उनके साथ अधिवक्ता गोपाल सिंह भी हैं। गोपाल सिंह ने पिछली बार सरकार का पक्ष रखा था।
शेखर नाफरे कर रहे शहाबुद्दीन की पैरवी
मो. शहाबुद्दीन ने प्रसिद्ध अधिवक्ता राम जेठमलानी को अपना अधिवक्ता बनाया था, लेकिन, वे कोर्ट में मौजूद नहीं थे। वे बुधवार को चारा घोटाले में सुप्रीम कोर्ट में ही लालू प्रसाद के लिए पैरवी में व्यस्त थे। शहाबुद्दीन की तरफ से शेखर नाफरे कोर्ट में उपस्थित थे।
प्रशांत भूषण ने रखा चंदा बाबू का पक्ष
पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की जमानत रद कराने के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ सिवान के कारोबारी चंदा बाबू ने भी अलग से एक याचिका (विशेष अनुमति याचिका) सर्वोच्च न्यायालय में दायर कर रखी है। चंदा बाबू की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरीय वकील प्रशांत भूषण शहाबुद्दीन की जमानत रद कराने को लेकर बहस कर रहे हैं।
कलावती देवी भी गईं कोर्ट
इस बीच एसिड बाथ डबल मर्डर व इसके गवाह की हत्या के दो मामलों में तीन बेटों को खो चुकीं चंदा बाबू की पत्नी कलावती देवी ने भी उम्रकैद वाले मामले में शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से शहाबुद्दीन की उम्रकैद को बहाल करते हुए इस मामले में जमानत रद करने की मांग की है।
हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती
एसिड बाथ डबल मर्डर मामले में कलावती देवी ने पटना हाईकोर्ट के इस साल दो मार्च को आए फैसले को चुनौती देते हुए कहा है कि कोर्ट ने शहाबुद्दीन को अपील लंबित रहने के दौरान स्थायी जमानत दी। निचली अदालत ने इस डबल मर्डर में शहाबुद्दीन को फिरौती के लिए अपहरण और हत्या का दोषी पाकर उम्रकैद की सजा दी थी, जबकि चश्मदीद युवक की मौत के मामले में मुकदमा चल रहा है।
शहाबुद्दीन खतरनाक अपराधी
कलावती देवी ने अपनी याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर गौर नहीं किया कि शहाबुद्दीन एक खतरनाक अपराधी है, जिसे कानून की जरा भी परवाह नहीं है। इसमें आगे कहा गया है कि हत्या, अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के दोषी को जमानत दे दी गई, जबकि उसके खिलाफ कई और मामलों में मुकदमे अभी चल रहे हैं।
कलावती देवी ने बिहार सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दिए गए हलफनामे के हवाले से अपनी याचिका में कहा है कि नवंबर 2014 तक शहाबुद्दीन के खिलाफ कम से कम 38 मामलो में मुकदमे लंबित थे। ये मामले हत्या, हत्या की कोशिश, खतरनाक हथियार से दंगा, वसूली सहित अन्यब संगीन अपराधों से जुड़े हैं।
10 सितंबर को रिहा हुए थे शहाबुद्दीन
विदित हो कि पटना हाइकोर्ट द्वारा पिछले 11 वर्षों से भी अधिक समय से जेल में बंद मो. शहाबुद्दीन को गत 7 सितंबर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था। अपने तीन-तीन पुत्रों की मौत का सदमा झेलने वाले उस पिता के साथ खुद बिहार सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में पटना हाइकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत मो. शहाबुद्दीन को भागलपुर केंद्रीय कारा से विगत 10 सितंबर को रिहा किया गया था।
पुलिस बना चुकी गिरफ्तारी की रणनीति
यदि सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन की जमानत को रद करने का आदेश दिया तो इस बाहुबली पूर्व सांसद को तत्काल गिरफ्तार करने की रणनीति भी तैयार कर ली गई है। सिवान में विधि-व्यवस्था को बनाए रखने के सभी इंतजाम कर लिए गए हैं। सिवान में एसटीएफ का कमांडो दस्ता (चीता) के साथ आसपास के सभी जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल को अलर्ट कर दिया गया है।
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड की जांच को सीबीआइ की एक टीम पिछले 10 दिनों से सिवान में कैंप कर रही है।