Move to Jagran APP

सियासत की चाल- राजद-जदयू में तकरार, एनडीए में अभी इंतजार

सियासी समर शुरू होने से पहले बिहार में भाजपा विरोधी दलों में घमासान है। किसी भी दल में एकजुटता के लिए बेकरारी नहीं दिख रही है। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के प्रारंभिक प्रयासों के बावजूद बात-बात पर गुटबंदी और तकरार सामने आ जा रहा है।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Sat, 23 May 2015 10:57 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2015 11:00 AM (IST)
सियासत की चाल- राजद-जदयू में तकरार, एनडीए में अभी इंतजार

पटना। सियासी समर शुरू होने से पहले बिहार में भाजपा विरोधी दलों में घमासान है। किसी भी दल में एकजुटता के लिए बेकरारी नहीं दिख रही है। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के प्रारंभिक प्रयासों के बावजूद बात-बात पर गुटबंदी और तकरार सामने आ जा रहा है। पहले तकनीकी पेंच का भंवरजाल...फिर गठबंधन की गुत्थी।

loksabha election banner

दिल्ली में मुलायम के साथ शुक्रवार को बेनतीजा बैठक के बाद तो अब उसपर भी सवाल उठने लगे हैं। इसके उलट भाजपा और उसके सहयोगी दल संयम दिखा रहे हैं। न दोस्ती पर सवाल। न सीट बंटवारे पर कोई विवाद। टारगेट भी फिक्स, लाइन भी स्पष्ट। इसका असर जंग के मैदान में भी दिखना लाजिमी है।

पहले भाजपा और उसके सहयोगी दलों की बात। गठबंधन के नेता पद के लिए कोई विवाद नहीं। सहयोगी दल सहमत हैं कि भाजपा बड़ी पार्टी है, इसलिए जिसे चाहे नेता घोषित कर दे। सीट बंटवारे पर बात यहां भी होनी है और इसके पहले विधान परिषद का चुनाव भी लडऩा है, मगर जल्दीबाजी किसी भी दल में नहीं दिख रही है।

भाजपा भी इत्मीनान में है। राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा भी बेताब नहीं है। स्पष्ट है कि इस गठबंधन को इंतजार है लालू-नीतीश के अगले कदम का। इस बीच भाजपा ने अभियान चलाकर लाखों नए लोगों को जोड़ लिया। कुशवाहा और पासवान ने भी संगठन की मजबूती पर काफी काम किया।

विधान परिषद की 24 सीटों पर दावेदारी पर थोड़ी जिच भी है तो इस गठबंधन के नेता परस्पर विश्वास के जरिए ही सुलझाने की बात करते नजर आ रहे हैं। महादलित के नए प्रणेता जीतन राम मांझी के मुद्दे पर भी गठबंधन में एक राय नहीं है, लेकिन भाजपा की मंशा इस गेम को अभी खेलने की है। शायद इसीलिए पासवान ज्यादा मुखर नहीं दिख रहे हैं।

मगर इन्हीं सब मुद्दों पर राजद-जदयू के बीच भूचाल-बवाल मचा है। बिहार में प्रस्तावित गठबंधन का नेता कौन होगा, अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुआ है। विकास पुरुष के रूप में छवि बना चुके नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लडऩे के नाम पर लालू की अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है।

विधान परिषद की 24 सीटें दस और बारह के झमेले में उलझी हुई हैं। बैठकें चल रही हैं, लेकिन सर्वमान्य फार्मूला निकल नहीं रहा है। कांग्र्रेस के साथ गठबंधन की कुंडली मेल नहीं खा रही है। वामदल भी विधान परिषद की लड़ाई में अलग ताल ठोक रहे हैं। जीतन राम मांझी के मुद्दे पर खासा बखेड़ा है। इस महादलित नेता को लालू महागठबंधन में शामिल करना चाह रहे हैं तो जदयू को इस पर भारी आपत्ति है। दोनों दलों के सदस्यता अभियान का भी अता-पता नहीं है।

जाहिर है, राजद और जदयू के बीच यह खिचखिच कुछ दिन और खिंच गया तो लड़ाई के मैदान में भी इसका असर दिखेगा और चुनाव परिणाम पर भी। भाजपा के बड़े नेता अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। उनके पत्ते वहीं से खुल सकते हैं, जहां से जनता परिवार का दाव खत्म हो जाएगा।

इनका कहना है

एनडीए में कोई विवाद नहीं है। जून के पहले सप्ताह में भाजपा के साथ लोजपा और रालोसपा की बैठक होगी। उसी समय सीटों के बंटवारे का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा।

- पशुपति कुमार पारस, प्रदेश अध्यक्ष लोजपा

पहले विलय की बात थी इसलिए देर हो रही थी। अब गठबंधन में कोई परेशानी नहीं हैं। भाजपा वाले ज्यादा खुश न हों। जनता परिवार एक होकर ही चुनाव लड़ेगा और भाजपा को भगाएगा।

- रामदेव भंडारी, राष्ट्रीय महासचिव, राजद


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.