राज्य सभा चुनाव : लालू ने पत्नी राबड़ी को पीछे कर बेटी मीसा को आगे बढ़ाया, जानिए क्यों...
लालू पहले पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को प्रत्याशी बनाने के मूड में थे, लेकिन नामांकन से दो दिन पहले उन्होंने मीसा का नाम आगे बढ़ाया है।
पटना। राजद प्रमुख लालू प्रसाद फिर अपने तरीके से सियासत करने के मूड में दिख रहे हैं। राज्यसभा में अपने हिस्से की दो सीटों पर लालू प्रसाद ने अपनी बड़ी बेटी डॉ. मीसा भारती एवं वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को भेजने का फैसला कर लिया है।
लालू पहले पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को प्रत्याशी बनाने के मूड में थे, लेकिन नामांकन से दो दिन पहले उन्होंने मीसा का नाम आगे बढ़ाया है। सूचना है कि महागठबंधन के सभी प्रत्याशी 30 मई को एक साथ ही नामांकन करेंगे।
राजद सूत्रों के मुताबिक मीसा व जेठमलानी रविवार को पटना पहुंचने वाले हैं। जदयू ने दो दिन पहले ही अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी थी, लेकिन लालू ने आखिरी वक्त तक चुप्पी साधकर अपनी पार्टी के दावेदारों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। हालांकि, लालू की इस चुप्पी के बावजूद राज्यसभा की स्थिति लगभग साफ हो गई है, किंतु विधान परिषद के प्रत्याशियों पर पर्दा अभी भी बरकरार है।
लालू के आवास से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक परिषद के लिए अभी तक राजद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे की दावेदारी ही पक्की मानी जा रही है। संख्या बल के हिसाब से राजद को विधान परिषद में दो सीटें कन्फर्म है। दूसरी सीट के लिए मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को अभी भी मनाने की जुगत की जा रही है।
हालांकि, हिना एमएलसी बनने के लिए राजी नहीं हैं। वह राज्यसभा जाना चाहती हैं। हिना अगर अपने स्टैंड पर कायम रहती हैं तो इस सीट के लिए सुभाष यादव (पूर्व सांसद नहीं) दूसरे दावेदार हो सकते हैं। लालू की नजर परिषद की तीसरी सीट पर भी है। इसके लिए पूर्व लोजपा नेता एवं कारोबारी अशफाक करीम का नाम चलाया जा रहा है। नए संदर्भ में राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव कमर आलम का नाम भी चर्चा में है।
राबड़ी की जगह मीसा क्यों
अभी तक कहा जा रहा था कि लालू को राष्ट्रीय राजनीति करने के लिए दिल्ली में एक बड़ा आशियाना चाहिए, जो राबड़ी को राज्यसभा भेजने से ही संभव हो सकता था। लेकिन, लालू ने आखिरी वक्त में अपना पैंतरा बदला और पार्टी हित में मीसा को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। राष्ट्रीय मुद्दों पर सोशल मीडिया में लगातार सक्रिय रहने वाली मीसा के बारे में तर्क दिया जा रहा है कि वे संसद में राजद की दमदार उपस्थिति दर्ज करा सकती हैं।