BSSC घोटाला: चार से छह लाख रुपये में बेचे जाते थे प्रश्नपत्र व आंसर-की
बीएसएससी घोटाले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। इस गोरखधंधे में नौकरी खरीदने वाले अभ्यथियों से परीक्षा के पहले 'एडवांस' की वसूली भी की जाती थी।
पटना [राजीव रंजन]। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की प्रतियोगिता परीक्षाओं के 'सेटरबाज' पैसे से नौकरी खरीदने वाले अभ्यथियों से परीक्षा के पहले न केवल 'एडवांस' की वसूली करते थे, बल्कि बकाए राशि का जबतक भुगतान नहीं हो जाता, तबतक उनके सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र व एडमिट कार्ड गिरवी के रूप में रख लिए जाते थे।
अभ्यथिर्यों के प्रमाणपत्र व एडमिट कार्ड उन्हें तब वापस किए जाते थे जब वे दलालों को परीक्षा में सेटिंग की पूरी राशि का भुगतान कर देते थे। यह सारा खेल आयोग के निलंबित सचिव परमेश्वर राम के इशारे पर उनका डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश कुमार खेलता था।
बीएसएससी की इंटर स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के बाद जब एसआइटी ने अपनी जांच शुरू की तब उसे जांच के आरंभ में ही कई ऐसे दलालों की जानकारी मिली जो आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए परीक्षाओं में सेटिंग का काम करते थे। इसी क्रम में विगत 9 फरवरी को बेउर थाना क्षेत्र से एसआइटी ने रामेश्वर कुमार उर्फ रमेश कुमार उर्फ रमेश प्रभाकर को गिरफ्तार कर लिया।
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रामेश्वर पटना के सिपारा में रेंडसन क्लासेज नामक एक कोचिंग संस्थान चलाता है। जब एसआइटी ने उससे सख्ती से पूछताछ की तो उसने आयोग में चल रहे सेटिंग के पूरे खेल का खुलासा कर दिया। उसने कबूल किया कि बीएसएससी का डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश कुमार उसके मोहल्ले में ही रहता है। जब उसने अविनाश से परीक्षा में अपने अभ्यर्थियों के लिए मदद मांगी तब वह राजी हो गया। वह आयोग के तत्कालीन सचिव परमेश्वर राम का काफी करीबी भी है और परमेश्वर अविनाश के माध्यम से परीक्षाओं में सेटिंग करता था।
इंटर स्तरीय परीक्षा में सेटिंग करने वाले एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों दलाल अविनाश के संपर्क में थे। जिसमें कौशल, पवन, विपिन, नवनीत, गोरेलाल, कौशिक, भोला उर्फ नितेश आदि शामिल हैं। ये सभी दलाल अविनाश के माध्यम से प्रति अभ्यर्थी चार से छह लाख रुपये की वसूली कर रहे थे।
इतनी बड़ी राशि की वसूली के लिए इन्होंने अभ्यर्थियों को किस्त पर पैसे के भुगतान की सुविधा भी दे रखी थी। यानी प्रश्नपत्र व आंसर-की उपलब्ध कराने के समय चार से छह लाख रुपये में सौदा किया जाता था। इसके लिए अभ्यर्थियों को 20 से 50 हजार रुपये अग्रिम के रूप में देना होता था। जबकि बाकी की रकम रिजल्ट आने के बाद वसूली जाती थी।
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अभ्यर्थी परीक्षा उत्तीर्ण कर फरार न हो जाएं या फिर बाकी की रकम देने से इन्कार न कर दें, इसके लिए ये दलाल अभ्यर्थियों के सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र और एडमिट कार्ड अपने पास बतौर गिरवी रख लेते थे। जब पूरी राशि का भुगतान हो जाता था तब उनके प्रमाण पत्र व एडमिट कार्ड वापस कर दिए जाते थे। एसआइटी को अविनाश, रामेश्वर व अन्य दलालों के ठिकानों की तलाशी में अभ्यर्थियों के ऐसे कई प्रमाणपत्र व एडमिट कार्ड बरामद हुए हैं।
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