उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए छोड़ने से हुआ रामविलास पासवान को फायदा, जानिए
रालोसपा अब एनडीए से अलग हो चुकी है और रालोसपा की सीटों का फायदा अब लोजपा को मिल सकता है।
पटना, जेएनएन। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया इसके साथ ही एनडीए का साथ भी छोड़ दिया। अब रालोसपा के एनडीए से अलग होने का आगामी लोकसभा चुनावों पर जो भी असर हो, लेकिन अभी तुरंत इसका फायदा लोक जनशक्ति पार्टी को होने जा रहा है। संभावना है कि रालोसपा के हिस्से की दो सीटें अब लोजपा को ही मिल सकती हैं। इस तरह लोजपा के खाते में कुल छह सीटें जा सकती हैं। .
सूत्रों के अनुसार जब बिहार के लिए एनडीए में टिकटों का बंटवारा हुआ था तभी भाजपा और जदयू की तरफ से ऐसे संकेत दे दिए गए थे. दोनों ने साथ एेलान किया था कि 50-50 का बंटवारा होगा। एेसे में कुशवाहा को लेकर संशय पहले से चला आ रहा था कि उन्हें दो से ज्यादा सीटें नहीं दी जाएंगी। कुशवाहा पिछली लोकसभा चुनाव में भी ज्यादा सीटें चाह रहे थे।
भाजपा और जदयू के बीच सीट शेयरिंग के बराबर-बराबर फार्मूले के तहत दोनों में 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति बनने की चर्चा थी। खुद भाजपा अपने हिस्से की पांच सीटें कम करने को तैयार हुई थी।
इस हालात में जदयू ने भी समझौता किया। वर्ष 2009 में जब भाजपा और जदयू ने बिहार में मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था तब जदयू ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस प्रकार अगले साल होने वाले चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे का पैटर्न ही पूरा बदल गया। लेकिन इस पर रालोसपा की नाराजगी कम नहीं हुई और वह कम से कम तीन सीटों पर अड़ी रही।
सूत्रों का कहना है कि यह फॉर्मूला तभी तय हो गया था जब भाजपा-जदयू के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था। उसमें ये तय किया गया था कि यदि रालोसपा एनडीए छोड़ती है तो उसकी दो सीटें लोक जनशक्ति पार्टी को दे दी जाएंगी। इस प्रकार रालोसपा का एनडीए से अलग होने का तात्कालिक फायदा दो सीटों के रूप में लोजपा को मिलने जा रहा है। संभव है कि इसकी घोषणा भी अगले कुछ दिनों में कर दी जाए। .