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आधुनिकतम आईटी तकनीक से जुड़े न्यायिक व्यवस्था : प्रणब मुखर्जी

महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोह का शुभारंभ करते हुए न्यायिक व्यवस्था को आधुनिकतम आईटी तकनीक से लैस करने पर जोर दिया।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 10:47 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2015 05:54 PM (IST)
आधुनिकतम आईटी तकनीक से जुड़े न्यायिक व्यवस्था : प्रणब मुखर्जी

पटना। महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी समारोह का शुभारंभ करते हुए न्यायिक व्यवस्था को आधुनिकतम आईटी तकनीक से लैस करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद लोगों को तेजी से न्याय दिलाने के लिए ऐसा करना जरूरी है। उन्होंने न्यायालयों की आधारभूत संरचना को और मजबूत करने व न्यायाधीशों के खाली पड़े पदों को भरने की आवश्यकता भी जताई। कहा, स्वस्थ लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष न्यायपालिका अनिवार्य है और न्यायपालिका की निष्पक्षता के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। महामहिम ने उच्च न्यायालय के सौ साल पूरा होने के मौके पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया।

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पटना उच्च न्यायालय के स्वर्णिम इतिहास का जिक्र करते हुए महामहिम ने कहा कि यहां हुए कई फैसलों ने युगांतकारी बदलाव की पहल की है। पटना हाईकोर्ट के निर्णय के आधार पर ही संविधान में संशोधन कर 'संपत्ति का अधिकार' मूल अधिकार में शामिल किया गया। तमाम महत्वपूर्ण अवसरों पर पटना हाईकोर्ट ने साहसिक निर्णय लिये हैं। जिनसे लोकतंत्र मजबूत हुआ है। पटना उच्च न्यायालय के इतिहास को देखकर मैं इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं कि न्यायपालिका न्याय की बेहतरीन समझ और निर्भीकता के साथ फैसले लेगी। उन्होंने कहा कि समानता न्याय के राज्य की बुनियाद है। यानी न्याय के सामने सब बराबर हैं। यहां गैर बराबरी के लिए कोई जगह नहीं। संविधान संशोधन पर भारत के मुख्य न्यायाधीश सुब्बाराव को उद्धृत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि समाज लगातार विकास करता रहता है, ऐसे में उसकी जरूरतें बदलती रहती हैं। ऐसे में लोगों की उम्मीद पूरा करने के लिए बदलाव जरूरी है। सबके लिए न्याय के लिए भी यह बेहद जरूरी है।

प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद का जिक्र करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जब भी पटना उच्च न्यायालय का जिक्र आता है, मुझे प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद याद आ जाते हैं। इतना ही नहीं पहली संयुक्त अंसेबली के मुखिया सच्चिदानंद सिंह भी बिहार से थे। प्रथम विश्व युद्ध के बाद लीग आफ नेशन की जिनेवा बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पीर अली भी बिहार से ही थे और पटना उच्च न्यायालय से जुड़े थे। पटना उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति बीपी सिन्हा, न्यायमूर्ति एलएम शर्मा और न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा के रूप में देश को तीन मुख्य न्यायाधीश दे चुका है।

लंबित मुकदमों पर चिंता

प्रणब मुखर्जी ने न्यायालयों में लंबित मुकदमों पर चिंता जताते हुए न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय में 31 मार्च 2015 तक 1 लाख 33 हजार मुकदमें लंबित हैं। इसके अलावा निचली अदालतों में 20 लाख से ज्यादा मुकदमें निर्णय की बाट जो रहे हैं। इस मामले में पटना उच्च न्यायालय अपवाद नहीं है। यह हाल देश के सभी उच्च न्यायालयों का है। उच्च न्यायालयों की भी अपनी सीमा है। न्यायाधीशों के पद खाली पड़े हैं। आधारभूत संरचना की कमी है।

काबीलियत पर जोर

पटना उच्च न्यायालय का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि यहां 43 जज होने चाहिए। जबकि अभी यहां 31 जज हैं। बारह जजों की कमी से काम प्रभावित हो रहा है। जजों के खाली पड़े पदों को तत्काल भरा जाना चाहिए। लेकिन जजों की भर्ती में उनकी काबीलियत को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस बात पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए। निचली अदालतों में खाली पड़े पदों को भी प्राथमिकता के आधार पर भरा जाना चाहिए।

महामहिम ने विवादों को तेजी के साथ निपटारे के लिए आधुनिकतम तकनीक के इस्तेमाल का भी सुझाव दिया। कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी मुकदमों के त्वरित निष्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सभी स्तरों पर इसका उपयोग किया जाना चाहिए। शताब्दी समारोह के शुभारंभ के मौके पर राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी, केंद्रीय विधि मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, केंद्रीय संचार व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद मौजूद थे।


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