एनआइटी में पसरा रहा मातम, परीक्षा स्थगित
एनआइटी गुरुवार को भी तृतीय वर्ष की छात्रा शिखा शुक्ला की आत्महत्या के सदमे से नहीं एनआइटी नहीं उबरा।
पटना। एनआइटी गुरुवार को भी तृतीय वर्ष की छात्रा शिखा शुक्ला की आत्महत्या के सदमे से नहीं उबर सका। बुधवार शाम को कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनिय¨रग डिपार्टमेंट के आइटी ब्रांच की शिखा की खुदकशी ने शिक्षकों से लेकर छात्रों तक को झकझोरकर रख दिया है। गम ने छात्रों और शिक्षकों की दिनचर्या पर भी असर डाला और आलम यह रहा कि गुरुवार को तमाम परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ीं। शिक्षक दिन भर कैंपस को सामान्य करने और छात्र-छात्राओं को सदमे से उबारने की योजना बनाने में लगे रहे। मामले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी की बैठक भी हुई। इसमें काउंसलर से भी पूछताछ की गई।
- आइटी ब्रांच की आज भी नहीं होगी परीक्षा
सबसे अधिक खराब हालत शिखा के बैच की और उन छात्राओं की है, जिन्होंने उसे फंदे से लटकते हुए देखा। कुछ छात्राओं को गुरुवार को दिन भर काउंसलिंग की जाती रही। एक-दो छात्राओं के माता-पिता को भी बुलाने पर एनआइटी प्रशासन ने विमर्श की है। कइयो ने उस वक्त के बाद से कुछ खाया ही नहीं है। शिखा के सहपाठियों ने शाम में एनआइटी प्रशासन से उनकी शुक्रवार की परीक्षा टाल देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। इस संबंध में उन्होंने एक लिखित आवेदन भी दिया। संबंधित विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि छात्रों के अनुरोध पर शुक्रवार को उस ब्रांच की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। शनिवार से बाकी यथावत रहेगा।
- सबसे अच्छा नोट्स बनाती थी वह
ब्रजेश की प्रोजेक्ट टीम का हिस्सा थी शिखा। ब्रजेश ने कहा कि टीम में उसका महत्वपूर्ण योगदान था। अब प्रोजेक्ट पर काम करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। उसके सहपाठी ब्रजेश ने कहा कि बैच में साठ प्रतिशत लोग शिखा के ही नोट्स से तैयारी करते हैं। वह नोट्स बहुत अच्छा बनाती थी। सबने उसकी कॉपी करवा रखी है। अब जैसे ही नोट्स खोलते हैं, उसकी तस्वीर आंखों के सामने आ जा रही है। कुछ भी पढ़-लिख पाना बहुत मुश्किल है।
- कई छात्राओं की हालत खराब
प्रभारी निदेशक और इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग विभाग के अध्यक्ष डॉ. यूएस त्रिआर ने कहा कि बच्चों को सामान्य करने के लिए जरूरी है कैंपस की गतिविधियां सामान्य करना। शुक्रवार से एक बैच को छोड़कर बाकी की परीक्षाएं पूर्ववत होंगी। त्रिआर ने कहा कि छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को मानसिक परेशानियों से उबारने के लिए यहां काउंसलर की व्यवस्था भी है। बुधवार को भी शिखा काउंसलर सरोज वर्मा से मिली थी। कैंपस में एक मेडिकल यूनिट भी तैनात रहती है। उन्होंने कहा कि शिखा को फंदे से उनके विभाग की छात्रा ने ही उतारा था। वह लगातार रात भर रोती रही। कई छात्राएं, जिन्होंने वह दृश्य देखा है, सदमे की हालत में हैं।
- शाम में कुछ-कुछ बदला माहौल
संस्थान के दूसरे बैच के छात्र माहौल में छाई उदासी दूर करने में जुटे रहे। शाम में थोड़ी रंगत बदली भी दिखी। कैंटीन में आइसक्रीम की मांग थोड़ी बढ़ी। प्लेग्रांउड में भी कई छात्र क्रिकेट खेलते रहे। फिर भी कैंपस शिखा को तलाश रहा था, जो हमेशा के लिए उसे छोड़कर जा चुकी थी।