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आवास को ले शुरू हुई सियासत, मांझी-नीतीश आमने-सामने

जीतन राम मांझी की मुख्यमंत्री पद से विदाई के साथ ही प्रदेश में सरकारी आवास को ले सियासत शुरू हो गई है। सरकारी आवास खाली करने की पहली गाज मुख्यमंत्री रहे जीतन राम मांझी और उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे साथियों पर गिरी है।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2015 10:19 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 11:54 AM (IST)
आवास को ले शुरू हुई सियासत, मांझी-नीतीश आमने-सामने

पटना। जीतन राम मांझी की मुख्यमंत्री पद से विदाई के साथ ही प्रदेश में सरकारी आवास को ले सियासत शुरू हो गई है। सरकारी आवास खाली करने की पहली गाज मुख्यमंत्री रहे जीतन राम मांझी और उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे साथियों पर गिरी है।

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सरकार की इस कार्रवाई से बिदके मांझी ने तो यहां तक कह दिया कि पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सात सर्कुलर रोड का आवास खाली करें, उसके बाद ही वे (मांझी) एक अणे मार्ग स्थित आवास खाली करेंगे। उन्होंने तो सरकार से मांग तक कर डाली है कि पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें 7 सर्कुलर रोड स्थित आवास आवंटित किया जाए। वे 12 स्ट्रैंड रोड के पूर्व से आवंटित मकान में नहीं जाएंगे। यह मकान उन्हें मंत्री होने के नाते पूर्व से आवंटित है।

अभी यह मामला किसी मोड़ तक पहुंचता कि उसके पूर्व ही भवन निर्माण विभाग के ताजा आदेश ने आग में घी का काम कर दिया। भवन निर्माण विभाग ने मांझी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नरेन्द्र सिंह, वृशिण पटेल, महाचंद्र प्रसाद सिंह, भीम सिंह, नीतीश मिश्रा, शाहिद अली खान और विनय बिहारी को भी आवास खाली करने का नोटिस दिया है।

भवन निर्माण विभाग के स्टेट अफसर शालीग्राम प्रसाद सिंह कहते हैं कि पूर्व से ऐसी व्यवस्था रही है कि मंत्री पद से हटने के एक महीने के अंदर आवंटित आवास खाली करना होता है। एक महीने के बाद सरकार समीक्षा करती है, उसके बाद ही कोई नोटिस जारी किया जाता है। ताजा आदेश भी उसी प्रक्रिया के तहत है।

भवन निर्माण विभाग ने 23 फरवरी को भी एक आदेश जारी किया था। यह आदेश 18 फरवरी के आदेश को रद करने से संबंधित था। 18 फरवरी को सरकार ने अपने आदेश में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र को आवंटित आवास संख्या 41, क्रांति मार्ग के स्थान पर 12, जवाहर लाल नेहरू मार्ग तथा उनके पुत्र नीतीश मिश्रा को 12, जवाहर लाल नेहरू मार्ग स्थित आवास के स्थान पर 41, क्रांति मार्ग आवंटित किया था। उस आदेश को 23 मार्च के आदेश से रद कर दिया गया। सरकार को इस समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा है।

वैसे सरकार के लिए यह परेशानी कोई नई नहीं है। इसके पूर्व भी कई नेता ऐसे रहे हैं जिनका मंत्री पद तो चला गया गया, मगर उन्होंने अपना बंगला नहीं छोड़ा। ऐसे मंत्रियों में कुछ अब भी पुराने ही बंगले में ही रह रहे हैं। उस वक्त भी मंत्रिमंडल से हटे भाजपा नेताओं को बंगले खाली करने का आदेश दिया गया था, पर किसी ने खाली नहीं किया।


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