गैंगरेप के बाद प्राइवेट पार्ट में डाल दी पिस्टल, अब महिला आयोग के कटघरे में तंत्र...
मोतिहारी गैंगरेप केस में पुलिस अधिकारियों ने भी माना कि लापरवाही हुई है. इस मामले में महिला आयोग ने पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया है।
पटना [अमित आलोक]। बिहार के मोतिहारी में पूरी हैवानियत के साथ रेप तथा उसके बाद युवती के प्राइवेट पार्ट में पिस्टल डाल देने की वारदात के अनुसंधान में नया मोड़ आया है। पुलिस के वरीय अधिकारियों ने मान लिया है कि इस कांड के अनुसंधान में लापरवाही हुई है।
दूसरी ओर जिला के सिविल सर्जन डॉ. प्रशांत कुमार रेप से इंकार कर रहे हैं तो सदर अस्पताल के उपाधीक्षक रेप की पुष्टि कर रहे हैं। विरोधाभाषों को देखते हुए महिला आयोग ने पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया है।
इस बीच एसपी जितेंद्र राणा ने कांड के अनुसंधान में लापरवाही बरतने के आरोप में रामगढ़वा के तत्कालीन थानाध्यक्ष सुबोध कुमार व जांचकर्ता विजय सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सिविल सर्जन ने भी सदर अस्पताल के उपाधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है कि आखिर वे किस आधार पर कह रहे हैं कि युवती के साथ रेप हुआ है। विरोधाभासी बयानों के बीच कांड की लीपापोती के आरोप लग रहे हैं।
दुष्कर्म कर बना लिया वीडियो, संबंध बनाने से मना करने पर करता था ब्लैकमेल
यह है मामला
- विदित हो कि गैंग रेप की इस कहानी की पृष्ठभूमि कुछ दिनों पहले ही तैयार हो गई थी। युवती ने आरोप लगाया है कि गांव के मो. समीउल्लाह ने कुछ दिनों पहले उसके साथ रेप किया था। वह रेप का वीडियो बना कर उसे ब्लैकमेल कर रहा था।
- बीते 13 जून को समीउल्लाह ने फिर रेप की कोशिश की तो युवती ने ब्लेड से उसका गुप्तांग काट दिया। घायल युवक का मोतिहारी सदर अस्पताल में इलाज चला। लेकिन, पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया। बाद में वह अस्पताल से फरार हो गया।
- 13 जून की घटना के बाद 15 जून को समीउल्लाह व उसके परिवारवालों व गांव के कुछ दबंगों ने युवती को बंदूक के बल पर गांव में घुमा-घुमाकर पीटा। उसे बचाने आई मां को भी बेरहमी से पीटा।
- युवती ने बताया कि उसके साथ गैंग रेप किया गया और प्राइवेट पार्ट में पिस्टल व लकड़ी डालकर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया।
- युवती के अनुसार दबंगों ने उसे बेरहमी से पीटा तथा बेहोश होने पर सड़क किनारे नंगा छोड़कर फरार हो गए।
- युवती के अनुसार इसके बाद उससे सादे कागज पर हस्ताक्षर लेकर पुलिस ने अपने मुताबिक एफआइआर दर्ज कर लिया, जिसमें गैंगरेप की बात नहीं लिखी गई।
- रामगढ़वा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उसकी मेडिकल जांच की गई, लेकिन रेप की पुष्टि के लिए कोई जांच नहीं की गई।
- घटना के दो दिनों बाद 18 जून को युवती की हालत बिगडऩे लगी तो परिजनों ने उसे मोतिहारी सदर अस्पताल में भर्ती कराया। यहां मीडिया के माध्यम से यह घटना प्रकाश में आ सकी।
- मीडिया को युवती ने अपनी रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी सुनाई तो देश भर में तहलका मच गया। इस कांड को बीते दिनों के दिल्ली के निर्भया गैंगरेप से जोड़कर देखा जाने लगा।
- इसके बाद नींद से जागी पुलिस ने 22 जून को मामले का संज्ञान लिया। तत्काल युवती का मेडिकल जांच की गई, जिसमें रेप की पुष्टि नहीं हुई।
- इस मेडिकल जांच को आधार बनाकर पुलिस ने रेप की घटना से ही इंकार कर दिया। लेकिन, युवती चीख-चीखकर अपने साथ हुई हैवानियत को बयां करती रही।
- दिल दहला देने वाले इस मामले का संज्ञान महिला आयोग व केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिया तो तंत्र नींद से जागा।
- यहां से नया विवाद भी खड़ा हो गया। तंत्र के कई जिम्मेदार अधिकारी अलग-अलग मत के साथ सामने आ खड़े हुए।
- घटना के नौ दिन बाद मुख्य आरोपी समीउल्लाह गिरफ्तार कर लिया गया। पीडि़त लड़की की सुरक्षा में दो अंगरक्षक लगा दिए गए।
- महिला आयोग की टीम ने मोतिहारी पहुंचकर पुलिस व प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया।
क्या कहा महिला आयोग ने, जानिए...
दरअसल, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू ने युवती के बयान व मिले साक्ष्य के आधार पर स्पष्ट कहा कि गैंग रेप हुआ है, जिसे पुलिस व प्रशासन दबाने में लगे हैं। उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए। इसके बाद मेडिकल बोर्ड बनाकर युवती की दोबारा मेडिकल जांच कराई गई।
सुषमा साहू ने कहा कि मोतिहारी सदर अस्पताल में इंज्यूरी के नाम पर चल रहे गोरखधंधे का वे पर्दाफाश करके रहेंगी।
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फिर हुई मेडिकल जांच
सुषमा साहू द्वारा मेडिकल रिपोर्ट पर सवाल उठाने के बाद मेडिकल बोर्ड का गठन कर फिर जांच कराई गई। इस रिपोर्ट को फिलहाल गोपनीय रखा गया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि चार महिला चिकित्सकों की टीम वाले मेडिकल बोर्ड ने भी रेप की पुष्टि नहीं करते हुए फोरेसिंक जांच की अनुशंसा की है।
इस मेडिकल बोर्ड में डॉ. शकुंतला सिंह, डॉ. माधुरी ओझा, डॉ. रीना व डॉ. सपना सर्खेल शामिल रहीं।
अस्पताल उपाधीक्षक बोले, हुआ है रेप
मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं होने पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक कहते हैं कि ऐसा मेडिकल जांच में विलंब के कारण संभव है। लेकिन, अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य रेप की ओर इशारा कर रहे हैं। महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू को रेप की पुष्टि को लेकर दिए अपने बयान पर कायम उपाधीक्षक ने कहा कि तत्कालीन परिस्थितियों के आधार पर उन्होंने ऐसा कहा था।इसे फोरेंसिक जांच के बाद ही खारिज किया जा सकता है।
अस्पताल के उपाधीक्षक के इस सनसनीखेज खुलासे का मेडिकल रिपोर्ट से तालमेल नहीं होना कई सवाल खड़े कर रहा है। महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू तो यहां तक कहती हैं कि अस्पताल में इंच्यूरी के नाम पर खेल चल रहा है।
सिविल सर्जन का बयान : रेप नहीं, पर संभावना बरकरार
दूसरी ओर सिविल सर्जन डॉ. प्रशांत कुमार इंच्यूरी रिपोर्ट में किसी अनियमितता से इंकार करते हैं। लेकिन, वे मानते हैं कि मेडिकल जांच में विलंब के कारण रेप की पुष्टि नहीं हो, ऐसी संभावना बरकरार है। सिविल सर्जन कहते हैं कि इस संभावना के मद्देनजर वे निश्चित तौर पर केवल इतना कह सकते हैं कि मेडिकल जांच रेप की पुष्टि नहीं करती, जांच में हुए विलंब के कारण वे रिपोर्ट के सही होने की पुष्टि वे नहीं कर सकते। शायद जांच में हुए विलंब के कारण ही मेडिकल बोर्ड ने फोरेंसिक जांच की अनुशंसा की है।
युवती की 15 जून को रामगढ़वा पीएचसी में मेडिकल जांच हुई थी। उस जांच में अनियमितता हुई या नहीं, इस बाबत सिविल सर्जन स्वयं जांच करने का आश्वासन देते हैं। उन्होंने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
थानाध्यक्ष व जांचकर्ता निलंबित
इस गंभीर मामले की मेडिकल जांच में विलंब के लिए पुलिस की लापरवाही जिम्मेदार है। रामगढ़वा के थाना प्रभारी मानते हैं कि उन्हें 15 जून को ही लड़की से साथ मारपीट की सूचना मिली थी, जिसके आधार पर एफआइआर दर्ज कर ली गई थी।
लेकिन, सवाल यह है कि एफआइआर के बाद पुलिस अनुसंधान के दौरान घटना प्रकाश में क्यों नहीं आ सकी? मोतिहारी सदर अस्पताल में मीडिया द्वारा उजागर किए जाने के बाद ही पुलिस क्यों हरकत में आई? जिला पुलिस के स्तर पर मुख्यालय को भेजी जानकारी भी सवालों के घेरे में आ गई है, जिसके आधार पर पुलिस मुख्यालय ने भी रेप की पुष्टि से इंकार कर लिया था।
पुलिस अनुसंधान में चूक की बात तो एसपी जितेन्द्र राणा ने भी स्वीकार किया है। उनके द्वारा अधिकृत रक्सौल के डीएसपी राकेश कुमार ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। डीएसपी की रिपोर्ट में तत्कालीन थानाध्यक्ष सुबोध कुमार व जांचकर्ता विजय सिंह को लापरवाही का दोषी माना गया है। एसपी ने दोनों पुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
इस बीच पुलिस ने कांड के पांचवें आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है। रक्सौल के डीएसपी राकेश कुमार ने बताया गिरफ्तार आरोपी ग्यासुद्दीन मुख्य आरोपी का पिता है। इससे पहले मुख्य आरोपी मो. समीउल्लाह, मो. जबीउल्लाह, मो. कलीमुल्लाह और मो. नुरुल्लाह को गिरफ्तार किया जा चुका है।