भुजंग से अलग हुआ चंदन, नई सरकार से बनेगा नया बिहार
बुधवार को महागठबंधन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने गुरुवार की सुबह एनडीए की सरकार में सीएम पद की शपथ ली।
पटना [जेएनएन]। बुधवार, तारीख 26 जुलाई 2017, बिहार की राजनीति ने एक बार फिर अचानक तेज़ी से करवट बदली है। कभी एक साथ सत्ता संभालने वाले गलबहियां करते बड़े भाई-छोटे भाई यानि नीतीश कुमार और लालू यादव का गठबंधन अब टूट चुका है और नये गठबंधन में एक बार फिर भाजपा और जदयू की वापसी हुई है।
कभी भुजंग कुमार और चंदन कुमार कहे जाने वाले नीतीश-लालू की जोड़ी के टूटने के बाद महागठबंधन की सरकार से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया और इस्तीफ़े के तुरंत बाद उन्हें बीजेपी का साथ मिल गया, वही बीजेपी जिसका साथ चार साल पहले छूट गया था।
आज सुबह 10 बजे नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए की सरकार बना ली है। पिछले बीस महीने से महागठबंधन की सरकार चल रही थी लेकिन कुछ दिनों से नीतीश कुमार असहज महसूस कर रहे थे, हालांकि उन्होंने स्थिति पर नियंत्रण करने की कोशिश की थी लेकिन नाकामयाब रहे।
इस साल फरवरी में जब गांधी मैदान में आयोजित पुस्तक मेले में नीतीश ने कमल के फूल में गेरूआ रंग भरा था तभी इसके कयास लगने शुरू हो गए थे कि नीतीश को अब बीजेपी भाने लगी है। उसके बाद फिर प्रकाशोत्सव पर्व में नीतीश कुमार पीएम मोदी से जिस सहजता से दिली खुशी जाहिर करते हुए गले मिले थे उसे देखकर भी इसकी पूरी संभावना जताई गई थी कि नीतीश अब बीजेपी में ही चले जाएंगे नमो उन्हें ज्यादा पसंद हैं।
नीतीश ने ली सीएम की शपथ, डिप्टी सीएम बने सुशील मोदी
नीतीश ने आज सुबह दस बजे छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उन्हें पटना के राजभवन के मंडपम हॉल में राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी और जदयू दोनों दलों के नेता मौजूद थे। शपथ ग्रहण के बाद भारत माता की जय के खूब जयकारे लगे।
राजभवन में नीतीश कुमार ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो जदयू और बीजेपी के नेताओं के बीच खुशी की लहर देखी गई। वहीं नीतीश कुमार के चेहरे पर भी संतोष का भाव दिखा। नीतीश कुमार के साथ ही उपमुख्यमंत्री के तौर पर सुशील मोदी ने भी शपथ ली। उन्हें भी शपथ राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने दिलाई।
इससे पहले देर रात नीतीश ने बीजेपी विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया तो वहीं लालू के पुत्र तेजस्वी यादव ने भी 100 विधायकों के साथ रात में राजभवन तक मार्च किया।
राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने तेजस्वी यादव को सुबह 11 बजे मिलने का समय दिया, लेकिन बाद में नीतीश कुमार को सुबह 10 बजे ही शपथ के लिए बुलाकर मुख्यमंत्री नीतीश का रास्ता साफ कर दिया, जिससे नाराज हुए तेजस्वी ने राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कोर्ट भी जाने की बात कही है।
वहीं, आज बिहार के कई जगह पर राजद समर्थक नारेबाजी और सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आज शपथग्रहण के बाद एनडीए सरकार को शुक्रवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा।
इस बीच आज बीजेपी विधायक दल की बैठक भी होनी है, जहां नीतीश को समर्थन और सरकार में शामिल होने की औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। इसके लिए बीजेपी ने पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और अनिल जैन दिल्ली से पटना पहुंच चुके हैं।
बहुमत का गणित
बिहार विधानसभा का वह आंकड़ा, जिससे बीजेपी-जेडीयू की सरकार आसानी से बन जाएगी। बिहार में जेडीयू के 71 विधायक हैं और बीजेपी के 53, ऐसे में दोनों पार्टियां मिलकर आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार कर लेती हैं।
बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है और दोनों पार्टियों के 124 विधायक हो रहे हैं.
नाराज तेजस्वी ने खोला मोर्चा
तेजस्वी यादव ने इस पूरे घटनाक्रम पर कहा कि मैंडेट के मुताबिक- सरकार बनाने का दावा पेश करने का जिम्मा हमारा था। राज्यपाल ने हमें 11 बजे मुलाकात का समय दिया था और थोड़ी देर बाद खबर आई कि सुबह 10 बजे शपथग्रहण होगा। एेसे में राज्यपाल को जनता के सामने माफी मांगनी चाहिए और राज्यपाल को अपनी भूमिका साफ करनी चाहिए।
तेजस्वी बहाना था, उन्हें बीजेपी के साथ जाना था
तेजस्वी ने कहा कि हम संविधान के तहत राज्यपाल से शपथग्रहण रोकने की मांग करते हैं। हम कोर्ट जाएंगे, हम हर तरह की क़ानूनी सलाह ले रहे हैं और जदयू में सामाजिक न्याय को माननेवाले लोग आज राजद-कांग्रेस के साथ हैं। अन्याय हो रहा है, लोकतंत्र की हत्या हो रही है। बिहार की जनता ने जो मैंडेट दिया था, उसके साथ धोखा हो रहा है। हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेंगे। मुझे मोहरा बनाया गया, तेजस्वी बहाना था, उन्हें बीजेपी के साथ जाना था।
सुशील मोदी ने कहा- मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं भाजपा
भाजपा की बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि हम राज्य में मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं हैं। हम चाहते हैं कि जो भी विधायक जीत कर आए हैं, वे पांच साल का कार्यकाल पूरा करें। दरअसल, तेजस्वी के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दल जदयू और राजद के बीच काफी समय से गतिरोध चल रहा था, जिसका आज पटाक्षेप हो गया है।